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आगम
(२८-व)
“तन्दुलवैचारिकं” - प्रकीर्णकसूत्र-५ (मूलं+अवचूर्णि:)
------------ मूलं [-] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....आगमसूत्र-२८-वृ], प्रकीर्णकसूत्र-[१] “तंदुलवैचारिक मूलं एवं विजयविमल गणि कृता अवचूर्णि:
'तन्दुलवैचारिकं' प्रकीर्णक (१)
श्री देवचन्द्र लालभाई पुस्तकोद्धार ग्रन्थाङ्क: ५९
श्रुतस्थवीर-प्रणीतं "तन्दुलवैचारिकं प्रकीर्णकं'
एवं विजयविमलगणि विहित अवचूर्णि:
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तन्दुलवैचारिक-प्रकीर्णकसूत्रस्य मूल “टाइटल पेज"
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