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आगम (३४)
"निशीथ” - छेदसूत्र-१ (मूलं) ---------- उद्देश: [१५] ----
-------- मूलं [७८] ----------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३४], छेदसूत्र - [१] "निशीथ" मूलं
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या पवित पा सा०1७८ाजे निश्यू पासाथस्त असणं पा देव देत या साः पहिच्याति पदि० मा०. पत्थं वा जाप पायपमाणं या देति देत पा सा पर या पहिष्ठा १० सा. 1७९-८२॥ एवं ओसमस्स।८३-८६॥ कुसीलसरस।८७-९०॥ नितियस्त ।९१-९४श संससस्स '३०४।९५-९८ाजे भिम जायणावरवं वा निमन्तणावार्थ वा अजाणिय अपुउिय जगवेसिय प्रतिमाहेड पडिगाइन या साइजा.सेय वाथे पठई अक्षयरे सिया जहा-निचनियंसणिए माणिए उगुस्सविए रायवारिए '३५४।५९/जे निम्यूपिभूसापटियाए आपणो पाए आमजेज वा पमोजावा आप० सातिः.एवं तइयाउद्देसगमेण जाय जे गामाणुगार्म जमाणे विभूसापटियाए अपणी पाए आमजेश बापमोज वा सा१००-१५२० वर्थ या पतिग्गाई वा कम्बा वा पायपाठवा अनपरं वा उगागजाय परेड परतवासान१५३ चोट पोर्न वा सा0-300'सेत्रमाणे आपजटायुम्मासियं परिद्वारा उम्पादय। १५४पणासमो उडेसनी १५॥जेनिनवसागारिखसेज उपागमा उ.मा..१३३।१०सउदगं सेज अपविसर अपविसर्ग पास २५६।२० सागणियं से० २९३ १३१० सचिन उष्णं मुंजा एवं पारसमे उसे अंबस्स जहा गमो सो पेव इदपि यत्रो।४पिटस/५० सचिनं अन्तरुष्टयं मा उच्छवडियं वा उपयोपगं या उष्मेवा उसामगंवा उष्टावा मजाविससचिनपद्वियं उपई जा,विडसइ०, अंतर '२९६१८-२११० जाणगाणं नया अनुचीजनासंबहिवाणं असगंवा पहिगाहेर पहि. 2011. सरालय असराइयं यह पर्वत पा सा1१31 जनसमा १७७१४. युसराइयाजो समाजी अयुसराइ गर्ण संस्माइसकमेत वा सा1१५० गुम्बहरकताणं जसगं बा देह देत या सा1१६० पटियाड पहिच्छन वा सा- ११७ एवं वन्य मा पडियाहं या कमल पा पायपुर्ण ना देह देत या सा1१८६० परिष्द पडि सा1१५॥ एवं वसाहिनि होहिं गमएहि.देडा२। पडिजा२१ अगुपचिसङ्गः ॥२२॥ सजाय देह दल या सा- २३ सज्झाय परियारपरि सा.'४९२४ा-विह (अवि) अणेगाहगमपिज अभिसंचारे अभिमा ५८५२०० चिरूबरूलाई दस्युगाययगाई | अगारियाद मिन्सयपट पान्तिबाट सति साडे पिहाराए सबरमागे संबणिजे जणपएसुविहारपहियाए अभिः '६१६।२६ बुभिायकुलेसु जसणं या पदिगाहेद परिगाहन या सा॥२७० वयं या पहिगाई वा कम्बाई वा वायपुर्ण वा २८ वसहिमा२९। समाय उदिसाउदिसतंबासा-३ बाएडवा यासा०।३१ परिवाद पतिपासा.३२ असणं
पाए निश्रिश्वट निवासा-1३३ संचारए।३४/ हासे०३२८।३५० अन्नउत्थीहिंया मारबीहिंवा सर्दि मजद नजंग या सा० ३६० अमेदियपरिवदिए मंजामवासाः ६३८।३७ जायरिवरजसबाग सजासंचारमं पाए संबहना हरवण अगन्नता पारयमार गच्छा गर्न वा सा. ६४२३८ मागाइरितं या गणणाइरिल बा उहि परंतवासा ७४७'1३५१७ जनन्तरहिवाए पुढाए बलाचार उमास्यासवर्ग परिहवन परिवत बासा (जाप संचलिक) ७४९ + सेपमाणे आवजा भाउमासिव परिहारहाणं उम्पाइयं ४.५० ॥ सोलनमो देसको १६ ॥मिरर कोमाइपरियाए अनवरं मलयागजाय नपासएच पा जाप सुनपासएण या पदय वा
मापन या मुबह मवंतं वा सामावणमानिय बाजार हरियमाहिय या विगवा करतंवा सापटपबा1३.५ अयमोहागि मा जाप सुषमाहानिया कोतवास पर चलाया.परिमन्ना.मा..१.१६-
८हाराणि या जान सवागसनाणिकप परिमन्जर प.सा११९१९-१२॥ आणाणिवा जाप आभरणनिचिनाणियाकग करेंत वासा पर प.सा. परिजरप.सा..१४।१२.१४ जानिमान्धी निमान्धस्स पाए अवस्थिएण या गाविएण वा आमजावेजया एवं ननिओदेसगमेण फेया जायजा निम्गन्दी निबन्धस्स गामाणगाम जमावस अन्न गार-सीसवारियं सारवेद-१५. ६७.जे निमान्ये निमावीए पाए जन्नउस्विणीए वा गारस्थितीए वा आमनिज वा जाप सा एवं मग्गिालगमयसरिस गया जाय निम्गन्धीए गामाणुगाम दुनमागीए अन्न मानसीसवारिय कारवेद-२८६८-१२जे निग्गन्धे निम्माम्वरसमरिसमस सन्तभोगासेजने ओमान र मदेश वा साब१२सजा निग्गन्धी निम्माम्बीए सरिसियाए जाब साइजड ४६ १२२ जे भिसा माहट अमर्गादेजनार्म परिमाहेरप.81१२३कोडाइन जसणं
यानिय निलिया१२४ महिनोतिनं असर्ग या उभिदिय निजिदिय. ५५ १२५ जे मिक्सूत्राम या जबरं पुढीपहिय परिगाहेब० ॥१२६॥ एवं जाउप-1१२७ उप १२८ सहकायप०६२।१२९॥ जे विषम् अथमिग अलग बा. सुपेग वा पिटणेग का नालियरेण वा पतेग वा वनमझेग पा साहाए का माहाभोग का पेहगेण या पेहणहरवेग या पेलेग या गोण का हत्येण या मुहेग वा कुमिना या पीना या जाहर देजमार्ग पदिमादेयः सा१३०० असणं या- उसिगुमिग पहिगाहेइम० मा०1१३११० उसेवणं या ससेपर्ण वा पालोदयापारी सनिशीथ डेदसूत्र - ७
मनिटीपरजसागर
दीप अनुक्रम [९८२]
मा सायद मन्यते या
सामान्य या गाध गास्यमालिय या विशाल काले को
अत्र उद्देशक: १७ आरब्धः
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