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आगम
(१६)
[८९-९३]
ཙྪིདྡྷཡྻོཝཱ ཟླ +
-१२२]
“सूर्यप्रज्ञप्ति” - उपांगसूत्र- ५ ( मूलं + वृत्तिः)
प्राभृतप्राभृत [-]
मूलं [८९-९३] + गाथा . आगमसूत्र [१६], उपांग सूत्र [५] "सूर्यप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः
प्राभृत [१८],
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.
सूर्यप्रज्ञ
सिवृत्तिः
( मल० )
॥२६०॥
| चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता बारस जोयणसहस्साई सूरे उ उच्चचेणं अद्धतेरसमाई चंदे एगे पुण एवमाहंसु १२, 'तेरस सूरे अद्वचउद्दसमाई चंदे' इति, एगे पुण एवमाहंसु ता तेरस जोयणसहस्साई सूरे उहं उच्चतेणं अद्धचोहसमाई चंदे एगे एवमाहंसु १३, 'बोइस सूरे अद्धपंचदसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहं का बहस जोय सहस्साई सूरे उहूं उच्च लेणं अद्धपंचदसमाई चंदे एगे एवमाहंस १४, 'पश्चरस सूरे अद्धसोलसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता पण्णरस जोयणसहरसाई सूरे उहुं उच्च सेणं अद्धसोलसमाई चंदे एगे एवमाहंसु १५, 'सोलस सूरे ४ असत्तरसाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता सोलस जोयणसहस्साई सूरे उहं उच्चत्ते अद्धसरसमाई चंद्रे एगे एवमाहंसु १६, 'सत्तरस सूरे अङ्कारसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता सतरस जोपणसहस्साई सूरे उहं उच्चक्षेणं अहारसमाई चंदे एगे एवमाहंसु १७, 'अट्ठारस सूरे अद्धएगूणवीसमाई बंदे इति एगे पुण एवमाहंस ता अट्ठारस जोयणसहस्साई सूरे उहूं उच्चतेणं अद्धएगूणवीसमाई चंदे एगे एवमाहंस १८ 'एगुणवीस सूरे अद्धवीसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता एगूणवीसं जोयणसहस्साई सूरे उर्दू उच्चतेणं अद्धवीसमाई चंदे एगे एवमाहंसु १९, 'बीस सूरे अद्धएकवीसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता वीसं जोयणसहस्साई सूरे उहूं उत्तेर्ण अद्धएकवीसमाई चंदे एगे एवमाहंसु २०, 'एक्कवीसं सूरे अडवावीसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु वा इक्कवीसं जोयणसहस्साई सूरे उहं उच्चत्तेणं अद्धबाबीसमाई चंदे एगे एवमाहंसु २१, 'बावीसं सूरे अडतेबीसाई चंदे' इति एगे पुण एवमाहंसु ता पायी जोयणसहस्साई सूरे उहूं उच्चचेणं अद्धतेवीसमाई चंदे एगे एकमासु २२ 'तेवीसं सूरे ज
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१८ प्राभृते चन्द्रादेरु
तारक
स्याणुता दि परिवारः
अबाधा अभ्यन्तरचा राः सू ८९-९३
॥२६०॥