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________________ आगम (१६) प्रत सूत्रांक [३६] दीप अनुक्रम [४६] प्राभृत [१०], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. सूर्यप्रज्ञसिवृत्तिः ( मल० ) ॥१०५॥ सूर्यप्रज्ञप्ति” - उपांगसूत्र - ५ ( मूलं + वृत्ति:) - Education International प्राभृतप्राभृत [४], मूलं [ ३६ ] आगमसूत्र [१६], उपांग सूत्र [५] "सूर्यप्रज्ञप्ति" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः ता कहं ते जोगस्स आदी आहिताति वदेखा?, ता अभियीसवणा खलु दुबे णक्खत्ता पच्छाभागा समवित्तः सातिरेगऊतालीसतिमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंद्रेण सद्धिं जोयं जोएंति, ततो पच्छा अवरं सातिरेयं दिवस, एवं खलु अभिईसवणा दुवे णक्खत्ता एगराई एवं च सातिरेगं दिवस चंद्रेण सार्द्ध जोगं जोएंति, जोयं जोएता जोयं अणुपरियद्धति जोयं अणुपरियहित्ता सायं चंदं घणिद्वाणं समप्यंति, ता धणिट्ठा खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंद्रेण सद्धिं जोगं जोएति, २ ता चंदेणं सद्धिं जोगं जोएत्ता ततो पच्छा राई अवरंच दिवस, एवं खलु घणिहाणक्खत्ते एवं चराई एगंच दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति जोएता जोयं अणुपरिमहिति जोयं अणुपरियहित्ता सागं चंदं सतभिसयाणं समप्पेति ता सयभिसया खलु णक्खन्ते णत्तंभागे अवढे खेते पण्णरसमुद्धते पदमलाए सागं चंद्रेण सद्धिं जोएति णो लभति अवरं दिवस, एवं खलु संयभिसया णक्खत्ते एगं च राई चंद्रेण सद्धिं जोयं जोएति, जोयं जोएता जोयं अणुपरियहृति, जोयं अणुपरियट्टित्ता तो चंदं पुवाणं पोडवताणं समप्पेति, ता पुढापोडवता खलु नक्खत्ते पुर्वभागे समखेत्ते तीसतिमुत्ते तप्पढमताएं पातो चंदेणं सद्धि जोयं जोएति, ततो पच्छा अबरराई, एवं खलु पुछापोट्टवता णक्खत्ते एवं च दिवस एगं च राई चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति २ ता जोयं अणुपरियइति २ पातो चंद उत्तरापोडवताणं समप्पेति, ता उत्तरपोहवता खलु नक्खन्ते उभयंभागे दिवदुखेसे पणतालीसमुहन्ते तप्पढमयाए पातो चंद्रेण सद्धिं जोयं जोएति अवरं च राति ततो पच्छा अवरं दिवसं, For Park Lise Only ~ 215~ १० प्राभूते ४ प्राभृत प्राभृतं योगादिः सू३६ ॥ १०५ ॥ waryra
SR No.004116
Book TitleAagam 16 SOORYA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages600
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_suryapragnapti
File Size128 MB
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