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आगम
(१४)
“जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [५], --------------------- उद्देशक: [-], ------------------- मूलं [२३७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [३] “जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः
प्रत सूत्रांक [२३७]]
दीप अनुक्रम
एएसि क भते! बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाच बायरतसकाइयाण य पजत्तापज्जत्ताणं कयरे २१, सव्वस्थोवा वायरतेउकाइया पज्जत्तगा बायरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा असंखेजगुणा वायरणिओया पज्जत्तगा असंखेज. पुढविआउवाउपजत्तगा असंखेजगुणा बायरतेउअपज्जत्तगा असंखेवगुणा पत्तेयसरीरवायरव. णस्सतिअप० असंखे० वायरा णिओया अपज्जत्तगा असंखे० बायरपुढविआजबाउ अपजसगा असंखेजगुणा वायरवणस्सइ पजत्तगा अणंतगुणा बायरपजत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सति अपजसा असंखगुणा बायरा अपजसगा विसेसाहिया वायरा प० विसेसाहिया ५। एएसिणं भंते! सहमाणं सुहमपुदविकाइयाणं जाव सुहमनिगोदाणं बायराणं बायरपुढचिकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य कयरेरहिंतो०१, गोयमा! सव्वत्थोवा बायरतसकाइया वापरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणा असंखे० तहेव जाव बायरवाउकाड्या असंखेजगुणा सुहमतेउकाइया असंखे०सुहमपुढवि०विसेसाहिया सुहमआउ०मुहमवाउ०विसेसा०सहमनिओया असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा वायराविसेसाहिया सुहमवणस्सइकाइया असंखे० सुहमा विसेसा एवं अपज्जत्तगावि पज्जत्तगावि, णवरि सब्वत्थोवा वायरतेउकाइया प. जत्ता बायरतसकाइया पजत्ता असंखेजगुणा पत्तेयसरीर० सेसं तहेव जाव सुहमपज्जत्ता वि.
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