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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति: [१], ---------------------- उद्देशक: [-], ------------------ मूलं [२३३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत 25-2564% सूत्रांक [२३३] सूक्ष्माल्पबहुत्वं उद्देशः२ सू०२३३ दीप अनुक्रम [३५५] श्रीजीवा- प्यन्तरं वक्तव्यं, यथा यमौधिकी सप्तसूत्री उमा तथाऽपर्याप्सविषया सप्तसूत्री पर्याप्त विषया च सप्तसूत्री वक्तव्या, नानात्वाभावात्॥ जीवाभिसाम्प्रतमेतेषामरूपबहुक्माहमलयगि- एवं अप्पाबहुगं, सव्वत्योवा सुहमतेउकाइया सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहुमाउबाऊ विरीयावृत्तिः सेसाहिया सुहमणिओया असंखेजगुणा सुहुमवणस्सतिकाइया अणंतगुणा मुहुमा पिसेसाहिया, एवं अपज्जत्तगाणं, पजत्तगाणवि एवं चेव ॥ एतेसिणं भंते! मुहमाणं पजत्सापजत्ताणं कयरे०१, ॥ ४१५॥ सम्वत्थोवा मुहुमा अपजत्तगा संखेजगुणा पजत्तगा एवं जाव सुहमणिगोया। एएसि णं भंते! सुहमाणं सुहमपुढधिकाइयाणं जाव सुहमणिओयाण य पजत्तापजत्सा. कपरे २१, सब्वत्थोवा मुहुमतेउकाइया अपजसगा सुहुमपुदविकाइया अपञ्चत्तगा विसेसाहिया मुहुमआउअपज्जत्ता विसेसाहिया सुहुमवाउअपनसा विसेसाहिया सुहुमतेउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा सुहुमपुढविआउवाउपजत्तगा विसेसाहिया सुहमणिओया अपनत्सगा असंखेजगुणा सुहमणिजोया पजसगा संखेजगुणा सुहमवणस्ससिकाइया अपजत्सगा अणंतगुणा सुहमअपजत्ता विसेसाहिया सुहमषणस्सइपजसगा संखेजगुणा मुहुमा पजसा विसेसाहिया ॥ (सू०२३३) 'एएसि ण'मित्यादि, सर्वस्सोकाः सूक्ष्मतेजस्कायिकाः, असोयलोकाकाशप्रदेशप्रमाणत्वाम् , तेभ्यः सूक्ष्मपृथिवीकायिका विशेषाधिकाः, प्रभूतासङ्ख्येयलोकाकाशप्रदेशपरिमाणत्वात् , सेभ्यः सूक्ष्माप्कायिका विशेषाधिकाः, प्रभूततरासङ्घयेयलोफाकाशप्रमाणलात्, कर ॥४१५॥ अत्र मूल-संपादने शिर्षक-स्थाने एका स्खलना वर्तते- एता प्रतिपतौ न कोऽपि उद्देशक: वर्तते, तत् कारणात् अत्र “उद्देश: २" इति निरर्थकम् मुद्रितं ~833~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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