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________________ आगम (१४) प्रत सूत्रांक [२०८] दीप अनुक्रम [३२५] “जीवाजीवाभिगम” - उपांगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्ति:) प्रतिपत्ति: [३], उद्देशकः [(वैमानिक)-१], मूलं [२०८ ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ..........आगमसूत्र [१४], उपांग सूत्र [३] "जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि प्रणीत वृत्तिः श्रीजीवाजीवाभि० मलयगि रीयावृत्तिः ॥ १८८ ।। ॥ सकस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ?, मझिमियाए परि० तहेव बाहिरियाए पुच्छा, गोयमा ! सस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ मज्झिमियाए परिसाए चउदस देवसाहस्सीओ पण्णताओ बाहिरियाए परिसाए सोलस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, तहा अभितरियाए परिसाए स देवीसयाणि मज्झमियाए छथ देवीसयाणि बाहिरियाए पंच देवीसयाणि पन्नताई ॥ सकस णं भंते देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवहयं कालं ठिई पण्णत्ता ? एवं मज्झिमियाए बाहिरियाएव, गोपमा ! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए पंच पलिओव माइंठिती पण्णत्ता मशिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओ माई ठिती, पण्णत्ता बाहिरियाए परिसाए देवाणं तिन्नि पलिओ माइंठिती पण्णत्ता, देवीणं ठिती, अभितरियाए परिसाए देवीणं तिन्नि पलिओ माई ढिती पण्णत्ता मज्झिमियाए दुन्नि पलि ओवमाई ठिती पण्णत्ता बाहिरियाए परिसाए एवं पलिओ मंठिती पण्णत्ता, अट्ठो सो चैव जहा भवणवासीणं ॥ कहि णं भंते! ईसाणकाणं देवा विमाणा पण्णत्ता? तहेब सब्बं जाव ईसाणे एत्थ देविंदे देव० जाव विहरति । ईसाणस्स णं भंते देविंदस्स देवरण्णो कति परिसाओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! तओ परिसाओ पण्णसाओ, तंजा - समिता चंडा जाता, तहेव सव्यं णवरं अभितरियाए परिसाए दस देवसा For P&Pealise Cnly ~ 779~ %%%%%% ३ प्रतिपचौ वैमा० उद्देशः १ पर्षद‍ सू० २०८ 11 RECH
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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