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________________ आगम (१४) प्रत सूत्रांक [१५१] दीप अनुक्रम [१९०] “जीवाजीवाभिगम” - उपांगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्ति:) उद्देशक: [ ( द्वीप समुद्र)], मूलं [१५१] आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः प्रतिपत्तिः [३], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित रपव्ययस्स पञ्चत्भ्रिमेणं गंधमादणस्स वक्रखापव्वयस्स पुरस्थिमेणं सीताए महानदीए पुरत्थि - मिल्ले कूले एत्थ उत्तरकुरुकुराए जंबूपेढे नाम पेढे पंचजोयणसताई आयामविक्खंभेणं पण्णरस एक्कासी जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं बहुमज्झदेसभाए बारस जोयणाई बाहूलेणं तदातरं चणं माताए २ पदेसे परिहाणीए सब्बेसु चरमंतेसु दो कोसे बाहल्लेणं पण्णत्ते सच्चजंत्रणतामए अच्छे जाव पडिरूवे ॥ से णं एगाए परमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सवतो समता संपरिवखेत्ते वण्णओ दोपहवि । तस्स णं जंबुपेढस्स चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवापडवा पण्णत्ता तं चैव जाव तोरणा जाव चत्तारि छत्ता || तस्स णं जंबूपेदस्स उपि बहुसमरमणि भूमिभागे पण्णत्ते से जहाणामए आलिंगपुक्खरेतिवा जाव मणि० ॥ तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पण्णत्ता अह जोयणाई आयामविभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं मणिमती अच्छा सण्हा जाय पडिरूवा ॥ तीसे णं मणिपेडिया softwer is जंबूसुदंसणा पण्णत्ता अजोयणाई उ उच्चतेणं अजोय उच्णं दो जोयणातिं खंधे अड जोषणाएं विक्खंभेणं छ जोयणाई विडिमा बहुम सभाए अट्ट जोयणाई विक्खभेणं सातिरेगाई अह जोयणाई सव्वग्गेणं पण्णत्ता, बहरामयमूला रयतसुपतिद्वियविडिमा, एवं चेतियस्वण्णओ जाव सब्बो रिट्ठामयविलकंदा For P&Praise Cinly ~588~ धू %%%%
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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