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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [१], ------- ------------ उद्देशक: [-], ------- - मूलं [१९-२०] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१९-२०] य साधारणसरीरबायरवणस्सइकाइया य॥(सू० १९)। से किं तं पत्तेयसरीरयादरवणस्सतिकादया?, २दवालसविहा पपणत्ता, तंजहा-रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पब्वगा चेष । तणवलयहरितओसहिजलरुहकुहणा य बोद्धव्वा ॥१॥से किं तं रुक्खा?, २दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-एगडिया य बहुबीया यासे किं तं एगडिया?,२ अणेगविहा पण्णता, तंजहा-निबंधजंबुजाव पुण्णागणागरुक्खे सीवपिण तथा असोगे य, जे यावण्णे तहप्पगारा, एतेसिणं मूलावि असंखेजजीविया, एवं कंदा खंधा तया साला पवाला पत्ता पत्तेयजीवा पुप्फाई अणेगजीवाई फला एगडिया, सेत्तं एगढिया। से किं तं बहुबीया ?, २ अणेगविधा पपणत्ता, तंजहा-अत्थियतेंदुयउंघरकविढे आमलकफणसदाडिमणग्गोधकाउंबरीयतिलयलज्यलोद्धे धचे, जे याचपणे तहप्पगारा, एतेसिणं मूलावि असंखेजजीविया जाव फला बहुबीयगा, सेत्तं बहुयीयगा, सेतं रुक्खा, एवं जहा पण्णवणाए तहा भाणियब्ब, जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं कुहणा-नाणाविधसंठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता । खंधोवि एगजीवो तालसरलनालिएरीणं ॥१॥ 'जह सगलसरिसवाणं पत्तेयसरीराण' गाहा ॥ २ ॥ 'जह वा तिलसक्कुलिया' गाहा ॥ ३॥ सेत्तं पसेयसरी रवायरवणस्सइकाइया ।। (सू०२०) 'से कि तमित्यादि, अथ के ते बादरवनस्पतिकायिका: १, सूरिराह-बादरवनस्पतिकायिका द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-प्रत्येक -KLAGAKAXटकॐ गाथा: दीप अनुक्रम [२१-२८] ~ 54~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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