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आगम
(१४)
“जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [3], ----- ------------ उद्देशक: [(द्विप्-समुद्र)], -------- ----------- मूलं [१३९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [3] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
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सूत्रांक [१३९]
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सिलप्पवालमया उट्ठा फलिहामया दंता तवणिजमतीओ जीहाओ तवणिजमया तालुया कणगमतीओ णासाओ अंतोलोहितक्खपरिसेयाओ अंकामयाई अच्छीणि अंतोलोहितक्खपरिसेताई पुलगमतीओ दिट्ठीओ रिट्ठामतीओ तारगाओ रिट्ठामयाई अच्छिपत्ताई रिहामतीओ भमुहाओ कणगामया कवोला कणगामया सवणा कणगामया णिडाला वहा बहरामतीओ सीसघडीओ तवणिजमतीओ केसंतकेसभूमीओ रिटामया उवरिमुद्धजा । तासिणं जिणपडिमाणं पिट्टतो पत्तयं पसेयं छत्तधारपडिमाओ पपणत्ताओ, ताओ णं छत्तधारपडिमाओ हिमरततकदंदसप्पकासाई सकोरेंटमल्लदामचलाई आतपत्तातिं सलीलं ओहारमाणीओ चिट्ठति ॥ तासि णं जिणपडिमाणं उभओ पासिं पत्तेयं पत्तेयं चामरधारपडिमाओ पन्नत्ताओ. ताओ गं चामरधारपडिमाओ चंदप्पहवहरवेरुलियनाणामणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुजलविचित्तदंडाओ चिल्लियाओ संखककुंददगरयअमतमथितफेणपुंजसपिणकासाओ सुहमरयतदीहवालाओ धवलाओ चामराओ सलीलं ओहारेमाणीओ चिटुंति ॥ तासि णं जिणपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमाओ दो २ जक्खपडिमाओ दो २ भूतपडिमाओ दो २ कुंडधारपडिमाओ विणओणयाओ पायवडियाओ पंजलिउडाओ संणिक्वित्ताओ चिट्ठति सव्वरयणामतीओ अच्छाओ सहाओ लण्हाओ घटाओ मट्ठाओ णीरयाओ णिप्पकाओ जाव पडिरूवाओ॥ तासिणं
दीप अनुक्रम [१७७]
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सिद्धायतन अधिकारः, शाश्वत-जिनप्रतिमा अधिकार:
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