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आगम
(१४)
“जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [३], ----- ------------ उद्देशक: [(द्विप्-समुद्र)], --------- मूलं [१३७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
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१५
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सूत्रांक
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v-27
[१३७]
तस्सणं मूलपासायव.सगस्स उत्तरपुरस्थिमे णं एस्थ णं विजयस्स देवस्स सभा सुधम्मा पण्णशा अद्धत्तेरसजोयणाई आयामेणं छ सकोसाई जोयणाई विश्वंभेणं णव जोयणाई उई उच्चतेणं, अणेगखंभसतसंनिविट्ठा अन्भुग्गयसुकयवहरवेदिया तोरणवररतियसालभंजिया सुसिलिडविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्यवालियविमलखंभा णाणामणिकणगरयणखड्यउजलबहसमसुबिभत्तचित्त(णिचिय)रमणि नकुहिमतला ईहामियउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिपणररुरुसरभचमरकुंजरवण लयपउमलयभत्तिचित्ता थंभुग्गयवइरवेझ्यापरिगयाभिरामा विज़ाहरजमलजुयलजंतजुत्ताविव अचिसहस्तमालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणी भिभिसमाणी चक्खुलोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा कंचणमणिरयणधूभियागा नाणाबिहपंचवषणघंटापडागपडिमंडिलग्गसिहरा धवला मिरीइकवचं विणिम्नुयंती लाउल्लोइयमहिया गोसीससरसरतचंदणदद्दरदिनपंचंगुलितला उवचियचंदणकलसा चंदणघडसुकयतोरणपटियारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवद्वग्धारियमलदामकलावा पंचवण्णसरससुरभिमुकपुष्फपुंजोवयारकलिता कालागुरुपवर कुँगुरुकतुरुकधूवमघमतगंधुडुयाभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवद्विभूया अच्छरगणसंघसंविकिला दिब्बतुडियमधुरसद्दसंपणादया सुरम्मा सब्बरयणामती अच्छा जाव पडिरूवा ॥ तीसे णं सोहम्माए सभाए तिदिसि तओ द्वारा पणत्ता॥ ते णं दारा पत्तेयं पत्तेयं
दीप अनुक्रम [१७५]
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सुधर्मा-आदि सभाया: वर्णनम्
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