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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [३], ----- ------------- उद्देशक: [(द्विप्-समुद्र)], --------- मूलं [१३१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत * सूत्रांक [१३१] दीप अनुक्रम 222-%22%- वेरुलियामया अच्छा जाय पडिरूवा ॥ तेसिणं तोरणाणं पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पण्णत्ता, से जहाणामए-रपणो चाउरंतचकवहिस्स चित्ते रयणकरंडे वेरुलियमगिफालियपडलपचोयडे साए पभाए ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासह उलोवेति तायेश पभासेति, एवामेव ते चित्तरपणकरंडगा पण्णता वेरुलियपडलपचोयडा साए पभाए ते पदेसे सव्वतो समता ओभासेति ।। तसिणं लोरणाणं पुरतो दो दो हयकठगा जाय दो दो उसमकंठगा पण्णत्ता सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा । तेसु ण हयकंठए सु जाव उसमकंठरसु दो दो पुष्फचंगेरीओ, एवं मल्लगंधचुण्णवल्याभरणचंगेरीओ सिद्धस्थचंगेरीजो लोमहत्थचंगेरीओ सब्बरयणामतीओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ॥ तेसि णं तोरणाणं पुरनो दो दो पुप्फपडलाइं जाव लोमहस्थपडलाई सब्बरयणामयाई जाव पडिरूवाई । तेसिणं तोरणाणं पुरतो दो दो सीहासणाई पपणत्ताई, तेसि णं सीहासणाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णसे तहेव जाय पासातीया ४ ॥ तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो कप्पछदाछत्ता पण्णता, ते णं छत्ता बेरुलियभिसंतविमलदंडा जंबूणयकन्निकावइरसंधी मुत्ताजालपरिगता अट्ठसहस्सवरचणसलागा दहरमलयसुगंधी सम्वोउअसुरभिसीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता चंदागारोवमा वहा । तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो चामराओ पपणत्ताओ, ताओ णं चामराओ (चन्दपभवहरवेरुलियनानामणि [१६९] --5 15%%%* ~426~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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