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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : २. ..........................-- उद्देशक: -1, ..............................- मूलं [६२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित............आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] जीवाजीवाभिगममूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६२] क्वजोणियपुरिसा असं तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज देवपुरिसा असं० देविस्थियाओ संखि० तिरिक्खजोणियणपुंसका अर्णतगुणा ॥ एतेसिणं भंते!तिरिक्खजोणित्थीणं जलयरीण थलयरीणं खहयरीणं तिरिक्वजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं तिरिक्खजो० णपुंसकाणं एगिदियतिरिक्वजोणियणपुंसकाणं पुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजो णपुंसकाणं जाव वणस्सतिकाइय० बेइंदियतिरिक्खजोणिणपुंसकाणं तेइंदिय० चउरिंदिय० पंचेंदियतिरिक्वजोणियणपुंसकाणं जलयराणं थलयराणं खयराणं कतरे २ हिंतोजाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सब्बत्थोवा ग्वहयरतिरिक्वजोणियपुरिसा खयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संग्वेज० थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियपुरिसा संवेधलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणित्थियाओ संग्वे० जलयरतिरिक्वजो पुरिसा संखि० जलयरतिरिकग्वजोणित्धीयाओ संखेजगुरु बहयरपंचिंदियतिरिक्वजो० णपुंसका असंखे० घलयरपंचिंदियतिरिक्वजोणि नपुंसगा संखि० जलयरपंचंदियतिरिक्ग्यजोणियनपुंसका संखे० चरिंदियसिरि० विसेसाहिया तेइंदियणपुंसका विसेसाहिया बेइंदियनपुंसका विसेसा० तेउकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका असं० पुढवि० णपुंसका विसेसाहिया आउ०विसेसाहिया वाउ० विसेसावणप्फति एगिन्दियणपुंसका अर्णतगुणा ॥ एतेसिणं भंते! मणुस्सित्थीणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवियाणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमकाणं SAXXX दीप अनुक्रम [७०] 4-30-36 ~168~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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