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________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [४३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४३] दीप अनुक्रम [१५] नवसिया जाव चिट्ठति । जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरंमि संघयणे सिझंति !, गोयमा ! वइरोसभ णारायसंघयणे सिझंति, जीवा णं भंते ! सिंज्झमाणा कयरंमि संठाणे सिझंति ?, गोयमा ! छह संठाजाणाणं अण्णतरे संठाणे सिझंति, जीवा भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिझंति, गोयमा ! जहपणेणं सत्तरयणीओ उक्कोसेणं पंचधणुस्सए सिझंति, जीवाणं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि आउए सि झंति?, गोयमा! जद्दण्णेणं साइरेगहवासाउए उकोसेणं पुवकोडियाउए सिज्झंति ।अस्थि णं भंते ! इमीसे 5 रयणप्पहाए पुढबीए अहे सिद्धा परिवसंति !, णो इणठे समहे, एवं जाव अहे सत्तमाए, अस्थि णं भंते! सोहम्मस्स कप्पस्स अहे सिद्धा परिवसंति?, णो इणहे समहे, एवं सम्बेसिं पुच्छा, ईसाणस्स सणंकुमारस्स। जाजाव अयस्स गेविजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाणं, अस्थि णं भंते ! ईसीपभाराए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति ?, णो इणढे समहे, से कहिं खाइ णं भंते ! सिद्धा परिवसंति?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उडे चंदिमसूरियग्गहगणणखत्तताराभवणाओ यहूई जोयणसयाई | बहूई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहओ जोयणकोडीओ बहूओजोयणकोडाकोडीओ उहुतरं | उप्पइत्ता सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिदबंभलंतगमहासुक्कसहस्सारआणयपाणयआरणय तिपिण य अहारे गेविजविमाणावाससए वीइवइत्ता विजयवेजयंतजयंतअपराजियसवहसिद्धस्स य महाविमाणस्स सब्व| उपरिल्लाओ थूभियग्गाओ दुवालसजोयणाई अयाहाए एस्थ णं ईसीपन्भारा णाम पुढची पणत्ता पण-110 awrminaurary.org सिद्ध एवं सिद्ध-पद प्राप्ति-विषयक: अधिकार: ~226~
SR No.004112
Book TitleAagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages244
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size53 MB
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