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आगम
(१२)
“औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
----------- मूलं [४१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [४१]
दीप अनुक्रम
णिज्जा णिग्गंधे पावणे णिस्संकिया णिक्खंखिया निवितिगिच्छा लद्धड्डा गहियहा पुछियवा अभिग-12 या विणिच्छियहा अडिमिंजपेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो! णिग्गंथे पावणे अटे अयं परमटे सेसे अणडे | ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्तंतेउरपरघरदारप्पवेसा चउद्दसहमुद्दिपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्म अणुपालेत्ता समणे णिग्गथे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछआणणं ओसहभेसोणं पटिहारपण य पीढफलगसेज्जासंधारएणं पडिलाभेमाणा विहरंति विहरित्ता भत्ता | पञ्चक्खंति ते बहूई भत्ताई अणसणाए छेदिति छेदित्ता आलोइयपडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे काल |किचा उक्कोसेणं अचुए कप्पे देवत्ताए उबवत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाई ठिई आराहया सेसं तहेव २० । से जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु मणुआ भवंति, तंजहा-अणारंभा अपरिग्गहा धम्मिया जाव कप्पेमाणा सुसीला सुब्बया सुपडियाणंदा साहू सब्वाओ पाणाइवाआओ पडिविरया जाव सब्चाओ परिग्गहाओ पडिविरया सव्वाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोभाओ जाव मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया सव्वाओ आरंभसमारंभाओं पडिविरया सव्वाओ करणकारावणाओ पडिविरया सव्याओ पयणपयावणाओ पडिविरया सम्वाओ कुणपिट्टणतजणतालणवहर्षधपरिकिलेसाओ पडिविरया सव्वाओ पहाणमद्दणवण्णगविलेषणसइफरिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ पडिविरया जेयावपणेतहप्पग्गारा 4 सावजजोगोचहिया कम्मंता परपाणपरिपावणकरा कजंति तओवि पडिविरया जावजीवाए से जहाणामए|| 5
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