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________________ आगम (१०) “प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], --------- ------------- अध्य यनं [१] --------- ---------- मूलं [...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रश्नव्याक-४ र० श्रीअभयदेव वृत्तिः | प्रत अधर्मद्वारे प्राणवधकारकाः प्रेत्यतदवस्थाश्च सू०४ लिलमलणभणरुंभणअणलाणिलविविहसस्थघट्टणपरोपराभिहणणमारणविराहणाणि य अकामकाई परप्पओगोदीरणाहि य कज्जपोयणेहि य पेस्सपसुनिमित्तओसहाहारमाइएहिं उक्खणणउकस्थणपयणकोट्टणपीसणपिट्टणभजणगालणामोडणसडणफुडणभञ्जणछेयणतच्छणविलुंचणपत्तझोडणअग्गिदहणाइयाति, एवं ते भवपरंपरादुक्खसमणुबहा अडंति संसारवीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अणंतकालं जेविय इह माणसत्तणं आगया कहिं वि नरगा उव्यडिया अधना तेविय दीसति पायसो विकयविगलरूवा खुज्जा बडभा य वामणा य बहिरा काणा कुंटा पंगुला विउला य मूका य ममणा य अंधयगा एगचक्खू विणिहयसवेल्लया वाहिरोगपीलियअप्पाउयसत्थवज्झवाला कुलक्खणुकिन्नदेहा दुबलकुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा किविणा य हीणा हीणसत्ता निच्चंसोक्खपरिवज्जिया असुहदुक्खभागणरगाओ इहं सावसेसकम्मा, एवं णरगं तिरिक्खजोणि कुमाणुसत्तं च हिंडमाणा पावंति अणंताई दुक्खाई पावकारी एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भयो बहरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहि मुचती, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति एवमासु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहइ सीहपाणवहणस्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रुद्दो खुद्दो अणारिओ निग्घिणो निसंसो महभओ बीहणओतासणओ अणज्जो उब्वेयणओ य णिरवयक्खो निद्धम्मो निष्पिवासो निकलुणो निरयवासगमणनिधणो मोहमहन्भयपवहुओ मरणवेमणसो पढमं अहम्मदारं समत्तंतिबेमि ॥१॥ (सू०४) दीप अनुक्रम AAmararyorg ~49~
SR No.004110
Book TitleAagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size76 MB
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