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________________ आगम (०७) “उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) अध्ययन [२], ------- मूलं [२६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ३चुलनीपित्रध्व० दभाड़ प्रत सूत्रांक [२६] मत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं वीर्य अन्झयणं समत्तं ॥ 'निक्खेवओत्ति निगमनवाक्यं वाच्यं, तच्चेदं एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयम? |पण्णनेत्ति बेमि ॥ (सू. २६) ॥ इति उपासकदशानां द्वितीयाध्ययनविवरणं समाप्तम् ॥ दीप अनुक्रम [२८] अथ तृतीयमध्ययनम् ॥ उक्खेवो तइयस्स अन्झयणस्स-एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी, काटुए, चेइए, जियसनू राया। तत्थ ण बाणारसीए नगरीए चुलणीपिया नाम गाहावई परिवसइ, अहे जाव अपारभूए, सामा भारिया, अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ अट्ठ वुटिपउत्ताओ अट्ठ पवित्थरपउत्ताओ अट्ठ वया दसगा-2 | साहस्सिएणं वएणं जहां आणन्दोराईसर जाव सव्वकज्जवट्टावए याविहोत्था, सामी समोसड़े, परिसा निग्गया, चुलणीपियापि जहा आणन्दो तहा निग्गओ, तहेव गिहिधम्म पडिवजइ, गोयमपुच्छा तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव 534639.3.30003054:5804 SARELatun international अत्र द्वितीयं अध्ययनं परिसमाप्तं अथ तृतीय, अध्ययनं "चुलनीपिता" आरभ्यते [चुल्लशतक-श्रमणोपासक कथा] ~65~
SR No.004107
Book TitleAagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages113
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size25 MB
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