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________________ आगम (०६) प्रत सूत्रांक [७९-८०] दीप अनुक्रम [११० -११२] “ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र - ६ ( मूलं + वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१] अध्ययनं [९], मूलं [ ७९-८० ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [०६], अंग सूत्र [०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः Jan Eucatury International भट्टविज्जा विजाहरकन्नगाविव पलायमाणीविव महागरुलवेगवित्तासिया भुयगवरकन्नगा धावमाणीविव महाजणरसियस वित्तत्था ठाणभट्ठा आसकिसोरी णिगुंजमाणीविव गुरुजणदिट्ठावराहा सुयणकुलकन्नगा घुम्ममाणीविव वीचीपहारसततालिया गलियलंबणाविव गगणतलाओ रोयमाणीविच सलिलगंद्विविप्पइरमाणघोरं सुवाएहिं णववह उवरतभतया विलवमाणीविव परचकरायाभिरोहिया परममहन्भ या महापुरवरी झायमाणीविव कवडच्छोमप्पओगजुत्ता जोगपरिवाइया णिसासमाणीविव महाकतारविणिग्गयपरिस्संता परिणयवया अम्मया सोयमाणीविव तवचरणखीणपरिभोगा चयणकाले देववरबहू संचुण्णियककूवरा भग्गमेडिमोडियसहस्समाला सुलाइयवकपरिमासा फलहंतरतडतडेंतहंतसंधिवियलंत लोहकीलिया सवंगवियंभिया परिसडियरज्जुविसरतसदगत्ता आमगमलगभ्रूया अकपपुण्णजणमणोरहोबिव चिंतिजमाणगुरुई हाहाकयकण्णधारणाचियवाणियगजणकम्मगारविलविया णाणाविहरयणपणियसंपुष्णा बहूहिं पुरिससएहिं रोयमाणेहिं कंद० सोय० तिप्प० विलवमाहिं एवं महं अंतो जलगयं गिरिसिहरमासायहत्ता संभग्गकवतोरणा मोडियझयदंडा वलयसयखंडिया करकरस्स तत्थेव विद्दवं उबगया, तते णं तीए णावाए भिमाणीए बहवे पुरिसा विपुलपडियं भंडमायाए अंतो जलंमि णिमज्जावि यावि होत्था (सूत्रं७९) तते णं ते मागंदियदारगा छेया दक्खा पट्ठा कुसला मेहावी णिउणसिप्पोबगया बहुसु पोतवहणसंपराए कयकरणलद्धविजया अमूढा अमूढहत्था For Parts Only ~ 316~ wor
SR No.004106
Book TitleAagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages512
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size109 MB
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