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[६] श्री ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रम
नमो नमो निम्मलदसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः ।
__“ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं वृत्ति:
[मूलं एवं अभयदेवसूरि रचित वृत्तिः ]
[आदय संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.।।
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह)
पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.)
07/09/2014, रविवार, २०७० भाद्रपद शुक्ल १३
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मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०६], अंग सूत्र-०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
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