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पुरोवाक्
परम प्रसन्नता का विषय है कि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के पण्डित मधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ द्वारा प्रवर्तित ग्रन्थमाला के षोडशपुष्प के रूप में वेदरहस्योद्घाटनप्रवण समीक्षाचक्रवर्ती विद्यावाचस्पति पण्डित मधुसूदन ओझा के पुराणसमीक्षा के तीन महाग्रन्थों के अन्तर्गत 'पुराणनिर्माणाधिकरणम्' नामक ग्रन्थ का सानुवाद प्रकाशन सम्पन्न हो रहा है। वेद एवं ब्राह्मणों के गूढ़ार्थ को विद्वज्जनों के समक्ष इतिहास एवं पुराण द्वारा ही अनावृत किया जाना संभव है। वर्तमान अध्ययन - परम्परा में पुराणशास्त्रों का पठन-पाठन सर्वथा नगण्य सा रहा है ऐसे समय में प्रकोष्ठ द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक अपने विषय माहात्म्य द्वारा अनायास ही विद्वज्जनों द्वारा शिरोधार्य होगी, ऐसी मेरी शुभाशंसा है।
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पण्डित मधुसूदन ओझा द्वारा वैदिक वाङ्मय के प्रतिपाद्य विषय की दृष्टि से किए गए चतुर्धा विभाग में तृतीय विषय के रूप में प्रतिपादित इतिहास से पुराण का भी ग्रहण हो जाता है। इस पुराण - समीक्षा में 'पुराणनिर्माणाधिकरणम्' एवं 'पुराणोत्पत्तिप्रसङ्गम्' ग्रन्थद्वय में से ‘पुराणनिर्माणाधिकरणम्' पुराणरहस्यवेत्ता पुराणपुरुष पण्डित श्री अनन्त शर्मा के समालोचनात्मकं विस्तृत सम्पादकीय के साथ प्रकाशित होने से सहज ही विबुधजनों के मानसमराल को आप्यायित करेगा ।
अपने कुशल सम्पादन, विस्तृत एवं वैदुष्यपूर्ण सम्पादकीय से पण्डित श्री अनन्त शर्मा ने पुराणों के माहात्म्य एवं वेदानुशीलन में उसकी अनिवार्यता का दिग्दर्शन कराया है एतदर्थ संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय उनका आधमर्ण्य स्वीकार
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