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________________ पुराणनिर्माणाधिकरणम् ग्रन्थ को विद्वज्जनों के मध्य परमादरणीय एवं अतिमहत्त्वपूर्ण बना दिया है। यह कार्य अत्यन्त श्रमसाध्य एवं अवहितचित से ही संभव था एतदर्थ ओझा शोध प्रकोष्ठ सदैव उनका ऋणी रहेगा। इसी माधुसूदनी विद्या के पथिकृत् विद्वानों को मेरा कृतज्ञतापूर्वक नमन है। इनमें सर्वप्रथम स्मरणीय राजस्थान पत्रिका के संस्थापक देवलोकवासी श्री कर्पूरचन्द्र जी कुलिश हैं जिनके सत्संकल्प एवं अथक प्रयासों से पण्डित मधुसूदन ओझा की अमूल्य कृतियों को विद्वानों के हस्तगत करवाने का परमपवित्र कार्य प्रतिफलित हो पाया। इन्हीं विद्वानों में अग्रगण्य परमादरणीय गुरुवर्य आचार्य दयानन्द भार्गव (तत्कालीन अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर) द्वारा सरल एवं सहज शैली में प्रस्तुत किए इस गूढ़ विषय के प्रति मत्सदृश संस्कृताराधकों को प्रेरित किया। कृतज्ञता की इसी परम्परा में मैं ओझा शोध प्रकोष्ठ के पूर्व निदेशक राष्ट्रपति-सम्मानित प्रोफेसर गणेशीलाल सुथार को शत-शत नमन करती हूँ जिन्होंने 'एकमेवाद्वितीयम्' रहते हुए भी प्रकोष्ठ को सुव्यवस्थापित एवं सुसञ्चालित करते हुए इस धरोहर को संरक्षण प्रदान किया एतदर्थ संस्कृतविभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर सदा उनका ऋणी रहेगा। मैं पण्डितवर्य अनन्त शर्मा एवं आन्वीक्षिकी विद्याविशारद मेरे गुरुवर्य प्रो. गणेशीलाल सुथार के उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घ जीवन की माल कामना करती हूँ। डॉ. छैलसिंह राठौड़ ने भाषानुवाद समय पर सम्पन्न करके इस प्रकाशन कार्य को न केवल हल्का किया अपितु प्रकोष्ठ के अन्य कार्यों में भी निष्ठापूर्वक पूर्ण सहयोग किया एतदर्थ मैं उन्हें साधुवाद देती हूँ तथा उनके समुज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ। प्रकृत शोध प्रकोष्ठ के परामर्शदातृमण्डल के अध्यक्ष एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. सत्यप्रकाश दुबे के प्रति मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ जिन्होंने ग्रन्थ के शुद्ध एवं निर्दुष्ट मुद्रण व प्रकाशन हेतु निरन्तर प्रेरित कर मेरा उत्साहवर्धन किया है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पण्डित मधुसूदन ओझा प्रकोष्ठ के परामर्शदातृमण्डल के संरक्षक परमादरणीय प्रो. भंवरसिंह जी राजपुरोहित के प्रति मैं हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ जिनका सत्परामर्श एवं ऊर्जस्विता मुझे सदैव प्रकोष्ठ की प्रगति हेतु उत्साहित करती है। इति शम् प्रो. (डॉ.) प्रभावती चौधरी निदेशक, पण्डित मधुसूदन ओझा शोधप्रकोष्ठ आचार्य, संस्कृतविभाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ता. ०७-१२-२०१३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004100
Book TitlePuran Nirmanadhikaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Oza, Chailsinh Rathod
PublisherJay Narayan Vyas Vishwavidyalay
Publication Year2013
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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