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पुराणनिर्माणाधिकरणम्
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काश्यपोऽहं च सावर्णिः रामशिष्योऽकृतव्रणः । अधीमहि व्यासशिष्याच्चत्वारो मूलसंहिताः ॥ ६ ॥
( भाग १२ स्कं. ७ अ. ४-६ श्लो. )
प्राप्यव्यासात् पुराणादि सूतो वै लोमहर्षणः । सुमतिश्चाग्निवर्चाश्च मित्रायुः शांशपायनः ॥
कृतव्रणोऽथ सावर्णिः षट् शिष्यास्तस्य चाभवन् । शांशपायनादयश्चक्रुः पुराणानां तु संहिताः ॥
॥ इतिप्रकारान्तरेण पुराणावतारः ॥
॥ इति पुराणनिर्माणाधिकरणम् ॥
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मैंने, काश्यप, सावर्णि, राम शिष्य अकृतव्रण इन चारों ने व्यास के शिष्य लोमहर्षण मूल संहिता का अध्ययन किया । ( भाग १२ स्क. ७ अ. ४-६ श्लोक )
सूत लोमहर्षण ने व्यास से पुराण आदि का ज्ञान प्राप्त किया। उनके सुमति, अग्निवर्चा, मित्रयु, शांशपायन, अकृतव्रण और सावर्णि — ये छः शिष्य हुए। शांशपायन आदि ने पुराणों की संहिताओं का निर्माण किया ।
यह है प्रकारान्तर से प्रतिपादित पुराण - अवतार ।
॥ पुराण निर्माणाधिकरण पूर्ण ॥
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(अग्निपुराणम्)
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