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________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति उनसे मुक्ति के उपायों पर पर्याप्त रूप से शोध-कार्य या गवेषणा हुई है और हो रही है, किन्तु आध्यात्मिक-दृष्टि के आधार पर इस सम्बन्ध में कुछ प्रयत्नों को छोड़कर प्रायः विषेश कार्य नहीं हुआ है । यद्यपि बौद्धमनोविज्ञान को लेकर इस सम्बन्ध में कुछ छुट-पुट प्रयत्न देखे जाते हैं, किन्तु जैन-धर्मदर्शन के आधार पर मनोवैज्ञानिक दृष्टि से इस समस्या. पर विचार वर्तमान युग चिन्तन की शैली में अपेक्षित है। आचार्य महाप्रज्ञजी और मुनि चंद्रप्रभसागर के प्रवचन-साहित्य में इस समस्या को छूने का प्रयत्न हुआ है, अतः मैंने 'जैन-धर्मदर्शन में तनाव-प्रबंधन नामक विषय को अपनी शोध-परियोजना का विषय बनाया औरं जैन-धर्मदर्शन के उन्हीं ग्रन्थों के आधार पर इस शोध- प्रबन्ध का प्रणयन किया है। यद्यपि इस शोध-कार्य में पाश्चात्य- मनोवैज्ञानिकों के मन्तव्यों को भी आधार बनाया है और जहाँ तुलनात्मक-विवेचन की आवश्यकता प्रतीत हुई है, वहाँ तुलनात्मक और समीक्षात्मक-दृष्टि से भी . विचार किया है। यहाँ इस कार्य में मुझे जिनका सहयोग मिला है, उनके .. प्रति आभार व्यक्त करना भी मेरा कर्तव्य है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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