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तीसरा अध्याय
अधोलोक तथा मध्यलोक
(NETHER AND MEDIAEVAL REGIONS)
नारक, मनुष्य, तिर्यंच संसार
(HELLISH, HUMAN, ANIMAL WORLD)
उपोद्घात
दूसरे अध्याय में औदयिक भावों, गति, उत्पत्ति - जन्म आदि का वर्णन करते समय नारक, तिर्यंच, मनुष्य, देव- इन चार का उल्लेख किया गया है। संसारी जीव इन चार गतियों में भ्रमण करता हुआ, जन्म लेता और मरता रहता है ।
प्रस्तुत अध्याय में नारक जीवों के निवास, शरीर, वेदना, विक्रिया, लेश्या, परिणाम आदि के विषय में वर्णन किया जा रहा है ।
साथ ही मनुष्य और तिर्यंच जीवों के आवास स्थानों का भी वर्णन प्रस्तुत अध्याय में किया गया है ।
क्योंकि नारक जीवों का निवास नरकों में है और नरक अधोलोक में है, अतः अधोलोक का भी वर्णन, इस अध्याय में है ।
मनुष्य और तिर्यच जीवों का निवास मध्यलोक अथवा तिर्यक् लोक में है, इसलिए तिर्यक् लोक का भी वर्णन किया गया है ।
इस प्रकार प्रस्तुत अध्यायगत विवेचन अधोलोक, तिर्यक्लोक तथा नारकी, मनुष्य एवं तिर्यंच जीवों के निवास स्थान के रुप में हुआ है। प्रसंगानुसार अधोलोक - तिर्यक् लोक की रचना भी वर्णित है ।
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