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________________ जीव-विचारणा १०१ इन्द्रियों की अपेक्षा लब्धि और उपयोग के आगम में पाँच भेद भी बताये गये हैं । इसी प्रकार निर्वृत्ति और उपकरण के भी पाँच भेद हैं । आगम वचन - सोइन्दिए, चक्खिं दिए घाणिन्दिए जिडिभन्दिए फासिन्दिए । प्रज्ञापना, इन्द्रिय पद १५ पंचइंदियत्था पण्णत्ता, तं जहा-सोइन्दिए जाव फासिन्दिए । __ स्थानांग, स्थान, ५ सूत्र ४४३ (इन्द्रियाँ पाँच होती है) (१) श्रोत्र इन्द्रिय, (२) चक्षुइन्द्रिय, (३) घ्राणइन्द्रिय, (४) रसना इन्द्रिय और (५) स्पर्शन इन्द्रिय । (पांचों इन्द्रियों के पांच विषय होते हैं-यथा श्रोत्र इन्द्रिय के विषय (शब्द) से लगाकर (चक्षुइन्द्रिय का विषय (रूप), घ्राणेन्द्रिय का विषय गन्ध), रसना इन्द्रिय का विषय (रस) और) स्पर्शन इन्द्रिय का विषय स्पर्श) तक । ) पांच इन्द्रियों के नाम और उनके विषय - स्पर्शनरसनघ्राणचक्षुःश्रोत्राणि । २०। स्पर्शरसगन्धवर्णशब्दास्तेषाम् अर्थाः ।२१। १. स्पर्शन, २. रसना, ३. घ्राण, ४. चक्षु और ५. श्रोत्र - यह पाँच इन्द्रियां हैं । १. स्पर्श (छूना), २. रस (स्वाद), ३. गन्ध, ४. रूप और ५. शब्द - यह (क्रम से ) (उपरोक्त) इन्द्रियों के विषय है ।। - विवेचन - प्रस्तुत दो सूत्रों में पांचों इन्द्रियों के नाम और उनके विषय बताये गये हैं .. यद्यपि सूत्र में पांच इन्द्रियों के पांच ही विषय बताये हैं; किन्तु विस्तार की अपेक्षा इन पांच इन्द्रियों के २३ विषय होते हैं । वह इस प्रकार - स्पर्शन के ८ विषय - १. शीत, २ उष्ण, ३. रूखा, ४. चिकना, ५. कठोर, ६. कोमल, ७. हल्का, ८. भारी । __ रसना के ५ विषय - १. तीखा, २ कड़वा, ३. कषायला, ४. खट्टा और ५. मीठा । घ्राण के २ विषय - १. सुरिभगन्ध (सुगन्ध, खूशबू) और २. दुर्गन्ध। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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