________________
36
जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व
आचारांगनियुक्ति
द्रव्य
भाव
सचित्
अचित्
मिश्र
ज्ञानसंज्ञा
अनुभवसंज्ञा
मति
श्रुत
अवधि
मनःपर्यव
केवलज्ञान)
1. आहारसंज्ञा 2. भय संज्ञा 3. मैथुनसंज्ञा 4. परिग्रहसंज्ञा 5. ओघसंज्ञा
लोकसंज्ञा 7. क्रोधसंज्ञा 8. मानसंज्ञा 9. मायासंज्ञा 10. लोभसंज्ञा 11. मोहसंज्ञा 12. धर्मसंज्ञा 13. सुखसंज्ञा 14. दुःखसंज्ञा 15. जुगुप्सासंज्ञा 16. शोकसंज्ञा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org