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तेईसवाँ कर्म प्रकृति पद प्रथम उद्देशक- पांचवां द्वार
४. प्रचलाप्रचला - चलते फिरते आने वाली निद्रा 'प्रचलाप्रचला ' है ।
५. स्त्यानद्धि - अत्यंत संक्लिष्ट कर्म परमाणुओं के वेदन से आने वाली निद्रा स्त्यानर्द्धि है। इस महानिद्रा में जीव अनेक गुणी अधिक शक्ति वाला हो कर प्रायः दिन में सोचे हुए असाधारण कार्य को रात्रि में कर डालता है + |
६. चक्षुदर्शनावरण - चक्षु-नेत्र के द्वारा होने वाले दर्शन - सामान्य उपयोग का आवृत्त हो जाना चक्षु दर्शनावरण है।
७. अचक्षुदर्शनावरण नेत्र के अलावा शेष इन्द्रियों से होने वाले सामान्य उपयोग का आवृत्त होना ।
८. अवधिदर्शनावरण- अवधिदर्शन का आवृत्त होना ।
९. केवलदर्शनावरण - केवलदर्शन का आवृत्त होना ।
दर्शनावरणीय कर्म का स्वतः और परतः उदय होता है। मूल पाठ में आये शब्दों का भावार्थ इस प्रकार है वेएइ पोग्गलं - जिन कोमल शय्या आदि पुद्गल को वेदता है अथवा पुग्गले वा जिन कोमल शय्या आदि बहुत पुद्गलों को वेदता है पोग्गल परिणामं वा भैंस के दही आदि खाये हुए आहार के परिणाम रूप पुद्गल परिणाम को वेदता है वीससा वा पोग्गलाण परिणामं अथवा विस्त्रसा-स्वभाव जन्य पुद्गलों के परिणाम रूप वर्षाऋतु में बादल युक्त आकाश अथवा धारा बंध वृष्टिपात को वेदता है उससे निद्रा आदि के उदय की अपेक्षा दर्शन परिणाम का उपघात होने से परतः उदय कहा है। स्वतः उदय में दर्शनाव णीय कर्म पुद्गलों के उदय से परिणति का विघात होने से देखने योग्य वस्तु को देखता नहीं तथा दर्शन परिणाम से परिणमन की इच्छा वाला होते हुए भी यानी देखने की इच्छा वाला होते हुए भी जन्मान्धता आदि से दर्शन परिणाम का उपघात होने से देख नहीं सकता है। पूर्व में देख कर भी दर्शनावरणीय कर्म पद्गलों के उदय से बाद में देखता नहीं और तो क्या दर्शनावरणीय कर्म के उदय से जीव आच्छादित दर्शन वाला भी होता है । अर्थात् आवरण की जितनी शक्ति होती है तदनुसार प्रच्छादित (ढका हुआ) दर्शन वाला भी होता है। यह दर्शनावरणीय कर्म है। सायावेयणिजस्स णं भंते! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प कइविहे अणुभावे पण्णत्ते ?
• गोयमा ! सायावेयणिज्जस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते । तंजहा - मणुण्णा सहा १, मणुण्णा रूवा २, मणुण्णा गंधा ३, मणुण्णा + इसका विस्तृत वर्णन श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ ब्यावर द्वारा प्रकाशित ठाणाङ्ग सूत्र नववें ठाणे में किया गया है। विशेष जिज्ञासुओं को वहां पर देखना चाहिए।
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