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________________ बाईसवाँ क्रियापद - जीव में क्रियाओं का सहभाव २९ *+retattatretatterE EPRENERREENNE PARAN उत्तर - हे गौतम! जिस जीव के आरम्भिकी क्रिया होती है, उसके पारिग्रहिकी क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती है, जिसके पारिग्रहिकी क्रिया होती है, उसके आरम्भिकी क्रिया नियम से होती है। विवेचन - जिसके आरम्भिकी क्रिया होती है उसके पारिग्रहिकी क्रिया भजना से होती है क्योंकि पारिग्रहिकी क्रिया संयत के नहीं होती है, शेष के होती है। जस्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स मायावत्तिया किरिया कज्जइ पुच्छा? गोयमा! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स मायावत्तिया किरिया णियमा कज्जइ, जस्स पुण मायावत्तिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया सिय कज्जइ, सिय णो कज्जइ। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जिस जीव को आरम्भिकी क्रिया होती है, क्या उसको मायाप्रत्यया क्रिया होती है ? तथा जिसके माया प्रत्यया क्रिया होती है क्या उसके आरम्भिकी क्रिया होती है? ___ उत्तर - हे गौतम! जिस जीव के आरम्भिकी क्रिया होती है, उसके नियम से मायाप्रत्यया क्रिया होती है और जिसको मायाप्रत्यया क्रिया होती है, उसके आरम्भिकी क्रिया कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं होती है। विवेचन - जिसके आरम्भिकी क्रिया होती है उसके मायाप्रत्यया क्रिया नियम से होती है किन्तु जिसके माया प्रत्यया क्रिया होती है उसके आरम्भिकी क्रिया भजना से होती है क्योंकि जो अप्रमतसंयत होता है उसके आरम्भिकी क्रिया नहीं होती, शेष के होती हैं। . जस्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ पुच्छा? गोयमा! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स अपच्चक्खाणकिरिया सिय कज्जइ, सिय णो कजइ, जस्स पुण अपच्चक्खाणकिरिया कजइ तस्स आरंभिया किरिया णियमा कज्जइ। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! जिस जीव को आरम्भिकी क्रिया होती है, क्या उसको अप्रत्याख्यानी क्रिया होती है तथा जिसको अप्रत्याख्यानी क्रिया होती है, क्या उसको आरम्भिकी क्रिया होती है ? उत्तर - हे गौतम! जिस जीव को आरम्भिकी क्रिया होती है, उसको अप्रत्याख्यानी क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती है, किन्तु जिस जीव को अप्रत्याख्यानी क्रिया होती है, उसके आरम्भिकी क्रिया नियम से होती है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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