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________________ तीसवां पश्यत्ता पद भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! पृथ्वीकायिक जीवों में एक साकार पश्यत्ता कही गई है। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की साकार पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? - उत्तर - हे गौतम! पृथ्वीकायिकों में एक श्रुत अज्ञान साकार पश्यत्ता कही गई है। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिकों तक समझना चाहिये। बेइंदियाणं भंते! कइविहा पासणया पण्णत्ता ? गोयमा ! एगा सागारपासणया पण्णत्ता । इंदियाणं भंते! सागारपासणया कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तंज़हा सुयणाणसांगारपासणया, सुयअण्णाण - सागारपासणया, एवं तेइंदियाण वि । २१९ चउरिंदियाणं पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तंजहा- सागारपासणया य अणागारपासणया य । . सागारपासणया जहा बेइंदियाणं । चरिदियाणं भंते! अणागारपासणया कइविहा पण्णत्ता ? गोग्रमा! एगा चक्खुदंसणअणागारपासणया पण्णत्ता । माणूसाणं जहा जीवाणं, संसा जहा णेरड्या जाव वेमाणियाणं ॥ ६६१ ॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! बेइन्द्रियों की कितनी प्रकार की पश्यत्ता कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! बेइन्द्रिय जीवों में एक साकार पश्यत्ता कही गई है। प्रश्न - हे भगवन् ! बेइन्द्रिय जीवों की साकार पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! बेइन्द्रिय जीवों की साकार पश्यत्ता दो प्रकार की कही गई है । यथा - श्रुतज्ञान साकार पश्यत्ता और श्रुत अज्ञान साकार पश्यत्ता। इसी प्रकार तेइन्द्रिय जीवों के विषय में समझना चाहिये । Jain Education International ***************deobod प्रश्न - हे भगवन् ! चउरिन्द्रिय जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! चउरिन्द्रिय जीवों की पश्यत्ता दो प्रकार की कही गई है। यथा-साकार पश्यत्ता और अनाकार पश्यत्ता। साकार पश्यत्ता बेइन्द्रिय जीवों के समान समझनी चाहिये। प्रश्न - हे भगवन् ! चउरिन्द्रिय जीवों में अनाकार पश्यत्ता कितने प्रकार की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! चउरिन्द्रिय जीवों में एक चक्षुदर्शन अनाकार पश्यत्ता कही गई है। मनुष्यों की For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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