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________________ ९६ *ctetotato • प्रज्ञापना सूत्र podoooooooo======************************* गोयमा ! जहणेणं अट्ठ संवच्छराई, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ, दस वाससयाइं अबाहा जाव णिसेगो । णपुंसगवेयस्स णं पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, वीसई वाससयाई अबाहा० । भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! स्त्रीवेद की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! स्त्रीवेद की जघन्य स्थिति पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग कम सांगरोपम के सात भागों में से डेढ भाग की है और उत्कृष्ट स्थिति पन्द्रह कोडाकोड़ी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल पन्द्रह सौ वर्ष का है। निषेक काल पूर्वानुसार समझना चाहिये । प्रश्न - हे भगवन् ! पुरुष वेद की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! पुरुष वेद जघन्य स्थिति आठ संवत्सर (वर्ष) की है और उत्कृष्ट स्थिति दस कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल दस सौ ( एक हजार वर्ष) का है। निषेककाल पूर्ववत् जानना चाहिये । प्रश्न - हे भगवन् ! नपुंसक वेद की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! नपुंसक वेद की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम दो सप्तांश (7) सागरोपम की है और उत्कृष्ट स्थिति बीस कोडाकोडी सागरोपम की है। अबाधाकाल बीस सौ (दो हजार ) वर्ष का है। कर्मस्थिति में से अबाधाकाल कम करने पर शेष कर्म निषेक काल है। हासरई णं पुच्छा ? गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमस्स एक्क सत्तभागं पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणं उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ, दस वाससयाई अबाहा० । Jain Education International अरइभयसोगदुगुंछाणं पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, वीसं वाससयाई अबाहा० ॥ ६२१ ॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! हास्य और रति की स्थिति कितने काल की कही गई है ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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