________________ इक्कीसवां अवगाहना-संस्थान पद - प्रमाण द्वार 377 एवं जहा ओरालिय सरीरस्स भेदो भणिओ तहा तेयगस्स वि जाव चउरिदियाणं। भावार्थ - इसी प्रकार जैसे औदारिक शरीर के भेद कहे हैं, उसी प्रकार तैजस शरीर के भी भेद चतुरिन्द्रिय तक के कहने चाहिए। पंचिंदिय तेयग सरीरेणं भंते! कइविहे पण्णत्ते? . गोयमा! चउबिहे पण्णत्ते। तंजहा - णेरड्य तेयग सरीरे जाव देव तेयग सरीरे। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! पंचेन्द्रिय तैजस शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! पंचेन्द्रिय तैजस शरीर चार प्रकार का कहा गया है, यथा - नैरयिक तैजस शरीर यावत् देव तैजस शरीर। णेरइयाणंदगओ भेदो भाणियव्वो जहा वेउब्बिय सरीरे। भावार्थ - जैसे नैरयिकों के वैक्रिय शरीर के पर्याप्तक और अपर्याप्तक ये दो भेद कहे गये हैं, उसी प्रकार यहाँ नैरयिकों के तैजस शरीर के भी भेद कहने चाहिए। पंचिंदिय तिरिक्ख जोणियाणं मणूसाण य जहा ओरालिय सरीरे भेदो भणिओ तहा भाणियव्वो। भावार्थ - जैसे पंचेन्द्रिय तिर्यंचों और मनुष्यों के औदारिक शरीर के भेदों का कथन किया है, * उसी प्रकार यहाँ भी पंचेन्द्रिय तिर्यंचों और मनुष्यों के तैजस शरीर के भेदों का कथन करना चाहिए। देवाणं जहा वेउव्विय परीर भेदो भणिओ तहा भाणियव्वो जाव सव्वदसिद्ध देवत्ति। भावार्थ - जैसे चारों प्रकार के देवों के वैक्रिय शरीर के भेद कहे गए हैं, वैसे ही यहाँ भी यावत् सर्वार्थसिद्ध देवों तक के तैजस शरीर के भेदों का कथन करना चाहिए। तेयग सरीरेणं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते? गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते। .. भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! तैजस शरीर का संस्थान किस प्रकार का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! तैजस शरीर का संस्थान नाना संस्थान वाला कहा गया है। एगिदिय तेयग सरीरे णं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते? गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एकेन्द्रिय तैजस शरीर किस संस्थान वाला होता है ? उत्तर - हे गौतम! एकेन्द्रिय तैजस शरीर नाना प्रकार के संस्थान वाला होता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org