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- प्रज्ञापना सूत्र
___ 'भावार्थ - इसी प्रकार खेचर संख्यात वर्षायुष्क गर्भज तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रियों के भी वैक्रिय शरीर जान लेना चाहिए, विशेषता यह है कि खेचर-पर्याप्तकों के वैक्रिय शरीर होता है, अपर्याप्तक के नहीं होता है।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में वैक्रिय शरीर के भेद प्रभेद बताये गये हैं। वैक्रिय शरीर एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय शरीर के भेद से मुख्यतः दो प्रकार का कहा है। उनमें भी एकेन्द्रियों में बादर वायुकायिक पर्याप्तक जीवों को ही वैक्रिय शरीर होता है अन्य में वैक्रिय लब्धि संभव नहीं है। कहा है कि - ___ "तिण्हं ताव रासीणं वेउव्वियलद्धी चेव नत्यि, बायर पजत्ताणपि असंखेजइ भागमेत्ताणं"
अर्थात् - तीन राशि (सूक्ष्म पर्याप्तक, सूक्ष्म अपर्याप्तक और बादर अपर्याप्तक) को वैक्रिय लब्धि नहीं होती और बादर पर्याप्तक जीवों में भी असंख्यातवें भाग मात्र में वैक्रिय लब्धि होती है।
पंचेन्द्रियों में भी जलचर चतुष्पद उर:परिसर्प, भुजपरिसर्प और खेचर तिर्यंच पंचेन्द्रियों में संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले गर्भज पर्याप्तकों में ही वैक्रिय लब्धि होती है अन्य में नहीं।
जइ मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे किं सम्मुच्छिम मणूस पंचिंदिय वेव्विय सरीरे, गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे? ____ गोयमा! णो सम्मुच्छिम मणूस पंचिंदियवेउव्विय सरीरे, गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! यदि मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है तो क्या सम्मूछिममनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, अथवा गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है?
उत्तर - हे गौतम! सम्मूछिम-मनुष्य पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर नहीं होता, किन्तु गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है। ,
जइ गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउब्विय सरीरे किं कम्मभूमग गब्भवक्कंतियमणूस पंचिंदिय वेउब्विय सरीरे, अकम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय-वेउव्विय सरीरे, अंतरदीवग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे? ____ गोयमा! कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे, णो अकम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे, णो अंतरदीवग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउव्विय सरीरे।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! यदि गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है तो क्या कर्मभूमिक गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, अकर्मभूमिक गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है या अन्तरद्वीपज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है ?
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