________________
************************************* * श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ साहित्य रत्नमाला का १०३ वा रत्न
प्रज्ञापना सूत्र
भाग-३
(पद १३-२१) (शुद्ध मूल पाठ, कठिन शब्दार्थ, भावार्थ एवं विवेचन सहित)
सम्पादक
नेमीचन्द बांठिया पारसमल चण्डालिया
বৃঢাঢ়
श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, जोधपुर
(०१४६२) २५१२१६, २५७६९९, फेक्स नं. २५०३२८ *************************************
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org