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________________ सत्तरहवाँ लेश्या पद-द्वितीय उद्देशक - विविध लेश्या वाले चौबीस ...... ÒÒÒÒÒÒÒÒÒÒÒÒ000000000000000000000000000000 उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े शुक्ल लेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक हैं, उनसे शुक्लं लेश्या वाली गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियां संख्यात गुणी हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक संख्यात गुणा हैं, उनसे पद्मलेश्या वाली गर्भज- पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियां संख्यात गुणी हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच संख्यात गुणा हैं, उनसे तेजो लेश्या वाली गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियां संख्यात गुणी हैं, उनसे कापोत लेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक संख्यात गुणा हैं, उनसे नील लेश्या वाले विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण लेश्या वाले विशेषाधिक हैं, उनसे कापोत लेश्या वाली तिर्यंच स्त्रिर्या संख्यात गुणी हैं, उनसे नील लेश्या वाली तिर्यंच स्त्रियां विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण लेश्या वाली तिर्यंच स्त्रियाँ विशेषाधिक हैं, उनसे कापोत लेश्या वाले सम्मूच्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे नील लेश्या वाले सम्मूच्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण लेश्या वाले सम्मूच्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच विशेषाधिक हैं। १७७ . विवेचन प्रस्तुत सूत्र में सम्मूच्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच, गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच और तिर्यंच स्त्री के संबंध में आठवाँ अल्प बहुत्व का कथन किया गया है। एएसि णं भंते! पंचॆदिय तिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्ख जोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?.. - 000000000000000 Jain Education International गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिया सुक्कलेस्सा, सुक्कलेस्साओ संखिज्जगुणाओ, पम्हलेस्सा संखिज्ज गुणा, पम्हलेस्साओ संखिज्जगुणाओ, तेउलेस्सा संखिज्जगुणा, तेउलेस्साओ संखिज्जगुणाओ, काउलेस्साओ संखिज्जगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेसाओ विसेसाहियाओ, काउलेस्सा असंखिज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन कृष्ण लेश्या वालों से लेकर यावत् शुक्ल लेश्या वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों और तिर्यंच स्त्रियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत्व, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे कम शुक्ल लेश्या वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक हैं, उनसे शुक्ल लेश्या वाली पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियां संख्यात गुणी हैं, उनसे पद्म लेश्या वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच संख्यात गुणा हैं, उनसे पद्म लेश्या वाली पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियाँ संख्यात गुणी हैं, उनसे तेजो लेश्या वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच संख्यात गुणा हैं, उनसे तेजो लेश्या वाली पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियाँ संख्यात गुणी हैं, उनसे कापोत लेश्या वाली पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियां संख्यात गुणी हैं, उनसे नील लेश्या वाली पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियाँ विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण लेश्या वाली पंचेन्द्रिय तिर्यंच स्त्रियाँ विशेषाधिक हैं, उनसे कापोत लेश्या For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004095
Book TitlePragnapana Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages412
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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