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सत्तरहवाँ लेश्या पद-द्वितीय उद्देशक - विविध लेश्या वाले चौबीस.....
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गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों को इतने ही जाने हैं। क्योंकि इससे अधिक होते नहीं हैं। इसी प्रकार तिर्यंच स्त्री के संबंध में भी समझ लेना चाहिये।
एएसि णं भंते! सम्मुच्छिम पंचेंदिय तिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्ख जोणिणीण य कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! जहेव पंचमं तहा इमं छठें भाणियव्वं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! कृष्ण लेश्या वालों से लेकर यावत् शुक्ल लेश्या वाले सम्मूछिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों और तिर्यंच योनिक स्त्रियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! जैसे पंचम कृष्णादि लेश्यायुक्त तिर्यंचयोनिक सम्बन्धी अल्पबहुत्व कहा है, वैसे ही यह छठा सम्मच्छिम-पंचेन्द्रिय तिर्यंचों और तिर्यंच योनिकों स्त्रियों का कृष्ण लेश्यादि विषयक अल्पबहुत्व कहना चाहिए।
विवेचन - तिर्यंच पंचेन्द्रियों के अल्प बहुत्व के वर्णन में यह छठा सूत्र है और इससे पहले कहा गया पांचवां सूत्र है अतः कहा है कि 'जहेव पंचमं तहा इमं छ8 भाणियव्वं' जैसा पांचवां सूत्र कहा है वैसा ही छठा सूत्र भी कह देना चाहिये।
एएसिणं भंते! गब्भवक्कंतिय पंचेंदिय तिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्ख जोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्या वा बहुया वा तुल्ला . वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा गब्भवक्कंतिय-पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिया सुक्कलेस्सा, सुक्कलेस्साओ तिरिक्ख जोणिणीओ संखिज गुणाओ, पम्हलेस्सा गब्भवक्कंतिय . पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिया संखिजगुणा, पम्हलेस्साओ तिरिक्ख जोणिणीओ संखिज गुणाओ, तेउलेस्सा तिरिक्खजोणिया संखिजगुणा, तेउलेस्साओ तिरिक्ख जोणिणीओ संखिजगुणाओ, काउलेस्सा संखिजगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ संखिजगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ। . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन कृष्ण लेश्या वालों से लेकर यावत् शुक्ल लेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों और तिर्यंच स्त्रियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ?
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