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तेरहवां परिणाम पद - जीव परिणाम प्रज्ञापना
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! योग परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! योग परिणाम तीन प्रकार का कहा गया है - १. मन योग परिणाम २. वचन योग परिणाम ३. काय योग परिणाम।
विवेचन - मन, वचन और काया के व्यापार (प्रवृत्ति) को योग कहते हैं। योग रूप परिणमन योग परिणाम है।
उवओग परिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - सागारोवओग परिणामे, अणागारोवओग परिणामे य६।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! उपयोग परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! उपयोग परिणाम दो प्रकार का कहा गया है - १. साकारोपयोग परिणाम और २. अनाकारोपयोग परिणाम।
विवेचन - चेतना शक्ति के व्यापार रूप परिणाम को उपयोग परिणाम कहते हैं। साकारोपयोग .. ज्ञान रूप होता है एवं अनाकारोपयोग दर्शन रूप होता है।
णाण परिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - आभिणिबोहिय णाण परिणामे, सुयणाण परिणामे, ओहिणाण परिणामे, मणपजवणाण परिणामे, केवलणाण परिणामे।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ज्ञान परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! ज्ञान परिणाम पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. आभिनिबोधिक (मति) ज्ञान परिणाम २. श्रुतज्ञान परिणाम ३. अवधिज्ञान परिणाम ४. मनःपर्यवज्ञान परिणाम और ५. केवलज्ञान परिणाम।
विवेचन - मतिज्ञान आदि रूप परिणाम को ज्ञान परिणाम कहते हैं। अण्णाण परिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - मइ अण्णाण परिणामे, सुय अण्णाण परिणामे, विभंग णाण परिणामे ७। - भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अज्ञान परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! अज्ञान परिणाम तीन प्रकार का कहा गया है - १. मति अज्ञान परिणाम २. श्रुत अज्ञान परिणाम और ३. विभंग ज्ञान परिणाम (अवधि अज्ञान परिणाम)।
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