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प्रज्ञापना सूत्र
से किं तं भवोववाय गई?
भवोववाय गई चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - णेरइय भवोववाय गई जाव देव भवोववाय गई।
से किं तं णेरड्य भवोववाय गई?
णेरइय भवोववाय गई सत्तविहा पण्णत्ता। तंजहा- एवं सिद्धवजो भेओ भाणियव्वो जो चेव खेत्तोववायगईए सो चेव, से तं देव भवोववाय गई। से तं भवोववाय गई॥४७०॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! भवोपपात गति कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! भवोपपात गति चार प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार हैं - नैरयिक भवोपपात गति से लेकर देव भवोपपात गति पर्यन्त।
प्रश्न - नैरयिक भवोपपात गति कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - नैरयिक भवोपपात गति सात प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार हैं - इत्यादि सिद्धों को छोड़ कर सब भेद तिर्यंच योनिक भवोपपात गति के भेद, मनुष्य भवोपपात गति के भेद और देव : भवोपपात गति के भेद कह देने चाहिए। जो प्ररूपणा क्षेत्रोपपात गति के विषय में की गई थी, वह भवोपपात गति के विषय में कहनी चाहिए। यह भवोपपात गति का निरूपण हुआ।
से किं तं णोभवोववाय गई?
णोभवोववाय गई दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-पोग्गल णोभवोववाय गई, सिद्ध णोभवोववाय गई य।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! वह नोभवोपपात गति कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! नोभवोपपात गति दो प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार हैं - पुद्गलनोभवोपपात गति और सिद्ध-नोभवोपपात गति।
से किं तं पोग्गल णोभवोववाय गई?
पोग्गल णोभवोववाय गई जण्णं परमाणु पोग्गले लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ पच्चथिमिल्लं चरमंतं एगसमएणं गच्छइ, पच्चथिमिल्लाओ वा चरमंताओ पुरथिमिल्लं चरमंतं एगसमएणं गच्छइ, दाहिणिल्लाओ वा चरमंताओ उत्तरिल्लं चरमंतं एगसमएणं गच्छइ, एवं उत्तरिल्लाओ दाहिणिल्लं, उवरिल्लाओ हेट्ठिल्लं, हिड्रिल्लाओ उवरिल्लं, से तं पोग्गल णोभवोववाय गई॥४७१॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! वह पुद्गल-नोभवोपपात गति क्या है ?
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