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________________ सोलहवां प्रयोग पद - समुच्चय जीवों में विभाग से प्रयोग प्ररूपणा १२५ कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगी य आहारग मीससरीर कायप्पओगी य कम्मा सरीर कायप्पओगी य ९, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगी य आहारग मीससरीर कायप्पओगी य कम्मा सरीर कायप्पओगिणो य १०, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगी य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य कम्मा सरीर कायप्पओगी य ११, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगी य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य कम्मा सरीर कायप्पओगिणो य १२, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगिणो य आहारग मीससरीर कायप्पओगी य कम्मा सरीर कायप्पओगी य १३, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगिणो य आहारग मीससरीर कायप्पओगी य कम्मा सरीर कायप्पओगिणो य १४, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगिणो य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य कम्मा सरीर कायप्पओगी य १५, अहवेगे य ओरालिय मीससरीर कायप्पओगिणो य आहारग सरीर कायप्पओगिणो य आहारग मीससरीर कायप्पओगिणो य कम्मा सरीर कायप्योगिणो य १६ एवं एए चउसंजोएणं सोलस भंगा भवंति, सव्वेवि य णं संपिंडिया असीइं भंगा भवंति। वाणमंतर जोइसवेमाणिया जहा असुरकुमारा॥४६४॥ भावार्थ - १. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है, २. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक मिश्र शरीर कायप्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं ३. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर कायप्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है ४. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक मिश्र शरीर काय प्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं .. ५. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है ६. अथवा एक औदारिक मिश्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004095
Book TitlePragnapana Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages412
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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