________________
७०
प्रज्ञापना सूत्र
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! उपरितन-मध्यम ग्रैवेयक अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने का की कही गई है ?
....
उत्तर - हे गौतम! उपरितन - मध्यम ग्रैवेयक अपर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
उवरि मज्झिम वेज्जग देवाणं पज्जत्तगाणं पुच्छा ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगूणतीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! उपरितन-मध्यम ग्रैवेयक पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! उपरितन - मध्यम ग्रैवेयक पर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम उनतीस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम तीस सागरोपम की कही गई है। उवरिम उवरिम गेविज्जगाणं देवाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं तीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं ।
-
भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! उपरितन - उपरितन ( ऊपर की त्रिक के ऊपर वाले अर्थात् यशोधर). ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! उपरितन - उपरितन ( ऊपर की त्रिक के ऊपर वाले अर्थात् यशोधर ) ग्रैवेयक देवों की स्थिति जघन्य तीस सागरोपम की और उत्कृष्ट इकतीस सागरोपम की कही गई है। उवरिम उवरिम गेवेज्जग देवाणं अपज्जत्तगाणं पुच्छा ?
गोयमा ! जहणेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
भावार्थ - प्रश्न- हे भगवन् ! उपरितन- उपरितन ग्रैवेयक अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
Jain Education International
उत्तर - हे गौतम! उपरितन- उपरितन ग्रैवेयक अपर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
उवरिम उवरिम गेवेज्जग देवाणं पज्जत्तगाणं पुच्छा ?
गोयमा ! जहणणेणं तसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ॥ २४४ ॥
प्रश्न - हे भगवन् ! उपरितन - उपरितन ग्रैवेयक पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
For Personal & Private Use Only
www.jalnelibrary.org