SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौथा स्थिति पद - वैमानिक देवों की स्थिति ६३ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! आरण कल्प के अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! आरण कल्प के अपर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। आरणे पज्जत्तगाणं देवाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं वीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं एगवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! आरण कल्प के पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! आरण कल्प के पर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम बीस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम इक्कीस सागरोपम की कही गई है। अच्चुए णं भंते! कप्पे देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं एगवीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अच्युत कल्प (बारहवाँ देवलोक) के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर. - हे गौतम! अच्युत कल्प (बारहवाँ देवलोक) के देवों की स्थिति जघन्य इक्कीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की कही गई है। अच्चुए अपज्जत्तगाणं देवाणं पुच्छा ? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अच्युत कल्प के अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! अच्युत कल्प के अपर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। अच्चुए पजत्तगाणं देवाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं एकवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई॥२४३॥ . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अच्युत कल्प के पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004094
Book TitlePragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy