________________
२४
प्रज्ञापना सूत्र
.....................................................................................
चरिन्द्रिय जीवों की स्थिति चउरिदियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं छम्मासा। अपज्जत्तयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पजत्तयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं छम्मासा अंतोमुहत्तूणा॥ २३०॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! चउरिन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! चउरिन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट छह मास की की कही गई है।
प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्तक चउरिन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! अपर्याप्तक चउरिन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक चउरिन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! पर्याप्तक चउरिन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम छह मास की कही गई है। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में तीन विकलेन्द्रिय जीवों की स्थिति का वर्णन किया गया है।
तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति पंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं। अपजत्तगाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पज्जत्तगाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहत्तूणाई।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org