________________
सातवाँ उच्छ्वास पद - वैमानिक देवों में श्वासोच्छ्वास विरहकाल
२४९
...............०००००००००
पाणय देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा?
गोयमा! जहण्णेणं एगणवीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं वीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! प्राणत नामक दसवें देवलोक के देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं?
उत्तर - हे गौतम् ! प्राणत देव जघन्य उन्नीस पक्ष से और उत्कृष्ट बीस पक्ष से उच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
आरणदेवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा?
गोयमा! जहण्णेणं वीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं एगवीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा। __भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! आरण नामक ग्यारहवें देवलोक देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं? . उत्तर - हे गौतम! आरण देव जघन्य बीस पक्ष से और उत्कृष्ट इक्कीस पक्ष से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
अच्चुय देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा?
गोयमा! जहण्णेणं एगवीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं बावीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा॥३३४॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अच्युत नामक बारहवें देवलोक के देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं?
. उत्तर - हे गौतम! अच्युत देव जघन्य इक्कीस पक्ष से और उत्कृष्ट बाईस पक्ष से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
हिटिम हिटिम गेविजग देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव णीससंति वा?
गोयमा! जहण्णेणं बावीसाए पक्खाणं, उक्कोसेणं तेवीसाए पक्खाणं जाव णीससंति वा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अधस्तन-अधस्तन (नीचे की त्रिक के नीचे के) ग्रैवेयक देव कितने काल से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं?
उत्तर - हे गौतम ! अधस्तन-अधस्तन ग्रैवेयक देव जघन्य बाईस पक्षों से और उत्कृष्ट तेइस पक्षों से श्वासोच्छ्वास लेते हैं और छोड़ते हैं।
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org