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प्रथम प्रज्ञापना पद - पृथ्वीकायिक जीव प्रज्ञापना
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वाली होती है वह श्लक्ष्ण कहलाती है। जो पृथ्वी कठोर तथा पानी नहीं सोखने वाली तथा अघुलनशील हो वह खर पृथ्वी कहलाती है। _से किं तं सह बायर पुढवी काइया? सण्ह बायर पुढवी काइया सत्तविहा पण्णत्ता। तंजहा-१. किण्ह मत्तिया २. णील मत्तिया ३. लोहिय मत्तिया ४. हालिद्द मत्तिया ५. सुक्किल्ल मत्तिया ६. पंडु मत्तिया ७. पणग मत्तिया। से तं सण्ह बायर पुढवी काइया।
कठिन शब्दार्थ - पंडु मत्तिया - पाण्डु मृत्तिका-कुछ मटमेले रंग की मिट्टी जो सूखने के बाद सफेद हो जाती है तिलक आदि लगाने की मिट्टी, खड्डी, गोपीचन्दन आदि। पणग मत्तिया - पनक मृत्तिकानदी आदि का पानी सूखने पर ऊपर की कोमल मिट्टी (पपड़ी)।
भावार्थ - प्रश्न - श्लक्ष्ण बादर पृथ्वीकायिकों के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर - श्लक्ष्ण बादर पृथ्वीकायिकों के सात प्रकार कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. कृष्ण मृत्तिका (काली मिट्टी) २. नील मृत्तिका (नीली मिट्टी) ३. लोहिय मृत्तिका (लाल मिट्टी) ४. हारिद्र मृत्तिका (पीली मिट्टी) ५. शुक्ल मृत्तिका (सफेद मिट्टी) ६. पाण्डु मृत्तिका और ७. पनक मृत्तिका। इस प्रकार श्लक्ष्ण पृथ्वीकायिक के भेद कहे गये हैं। .. से किं तं खर बायर पुढवी काइया ? खर बायर पुढवी काइया अणेगविहा पण्णत्ता। तंजहा
१ पुढवी य २ सक्करा ३ वालुया य ४ उवले ५ सिला य ६-७ लोणूसे। ८ अय ९ तंब १० तउय ११ सीसय १२ रुप्प १३ सुवण्णे य १४ वइरे य॥१॥ १५ हरियाले १६ हिंगुलय( हिंगुलुए)१७ मणोसिला १८-२० सासगंजण पवाले। २१-२२ अब्भपडलब्भवालुय बायरकाए मणिविहाणा॥२॥ २३ गोमेजए य २४ रुयए २५ अंके २६ फलिहे य २७ लोहियक्खे य। २८ मरगय २९ मसारगल्ले ३० भुयमोयग ३१ इंदणीले य॥३॥ ३२ चंदण ३३ गेरुय ३४ हंसगब्भ ३५ पुलए ३६ सोगंधिए य बोद्धव्वे। ३७ चंदप्पभ ३८ वेरुलिए ३९ जलकंते ४० सूरकंते य॥४॥
जेयावण्णे तहप्पगारा। ते समासओ दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-पजत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा एएसिं वण्णादेसेणं, गंधादेसेणं, रसादेसेणं, फासादेसेणं, सहस्सग्गसो विहाणाई,
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