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२८
प्रज्ञापना सूत्र
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परिणता वि, मउय फास परिणता वि, गरुय फासपरिणया वि, लहुय फास परिणता वि, सीयफास परिणता वि, उसिण फास परिणता वि, णिद्ध फास परिणता वि, लुक्ख फास परिणता वि। संठाणओ परिमंडल संठाण परिणता वि, वट्ट संठाण परिणता वि, तंस संठाण परिणता वि, चउरंस संठाण परिणता वि, आयय संठाण परिणता वि २०॥
भावार्थ - जो वर्ण से लोहित-रक्त वर्ण रूप परिणत है वह गंध से सुरभि गंध रूप और दुरभि गंध रूप परिणत होता है। रस से तीखा, कडुआ, कषायला, खट्टा और मधुर रस रूप भी परिणत होता है। स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष रूप भी परिणत होता है। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप भी परिणत होता है २० ।
जे वण्णओ हालिद्द वण्ण परिणता ते गंधओ सुब्भि गंध परिणता वि, दुब्भि गंध परिणता वि। रसओ तित्त रस परिणता वि, कडुय रस परिणता वि, कसाय रस परिणता वि, अंबिल रस परिणता वि, महुर रस परिणता वि। फासओ कक्खड फास परिणता वि, मउय फास परिणता वि, गरुय फास परिणता वि, लहुय फास परिणता वि, सीय फास परिणता वि, उसिण फास परिणता वि, णिद्ध फास परिणता वि, लुक्ख फास परिणता वि। संठाणओ परिमंडल संठाण परिणता वि, वट्ट संठाण परिणता वि, तंस संठाण परिणता वि, चउरंस संठाण परिणता वि, आयय संठाण परिणता वि २०।
भावार्थ - जो वर्ण से हारिद्र-पीला वर्ण रूप परिणत है वह गंध से सुरभि गंध और दुरभि गंध रूप भी परिणत होता है। रस से तीखा, कडुआ, कषायला, खट्टा और मीठा भी परिणत होता है। स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श रूप भी परिणत होता है। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्रिकोण, चतुष्कोण और आयत संस्थान रूप भी परिणत होता है २०।
जे वण्णओ सुक्किल्ल वण्ण परिणता ते गंधओ सुब्भि गंध परिणता वि, दुब्भि गंध परिणता वि। रसओ तित्त रस परिणता वि, कडुय रस परिणता वि, कसाय रस परिणता वि, अंबिल रस परिणता वि, महुर रस परिणता वि। फासओ कक्खड फास परिणता वि, मउय फास परिणता वि, गरुय फास परिणता वि, लहुय फास परिणता वि, सीय फास परिणता वि, उसिण फास परिणता वि, णिद्ध फास परिणता
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