________________
तीसरा बहुवक्तव्यता पद - क्षेत्र द्वार
३६९
*******************************
****************************************************
__ खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढवीकाइया अपज्जत्तगा उड्डलोयतिरियलोए, अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखिज्जगुणा, तेलोक्के असंखिजगुणा, उड्डलोए असंखिजगुणा, अहोलोए विसेसाहिया। __ खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढवीकाइया पज्जत्तगा उड्डलोयतिरियलोए, अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखिजगुणा, तेलोक्के असंखिज्जगुणा, उड्डलोए असंखिजगुणा, अहोलोए विसेसाहिया॥२०५॥
भावार्थ - क्षेत्र की अपेक्षा सबसे थोड़े पृथ्वीकायिक ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, उनसे अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, उनसे तिर्यक्लोक में असंख्यात गुणा हैं, उनसे तीन लोक में असंख्यात गुणा हैं, उनसे ऊर्ध्वलोक में असंख्यात गुणा हैं और उनसे अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
क्षेत्र की अपेक्षा सबसे थोड़े अपर्याप्तक पृथ्वीकायिक ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, उनसे अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, उनसे तिर्यक्लोक में असंख्यात गुणा हैं, उनसे तीन लोक में असंख्यात गुणा हैं, उनसे ऊर्ध्वलोक में असंख्यात गुणा हैं और उनसे अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
क्षेत्र की अपेक्षा सबसे थोड़े पर्याप्तक पृथ्वीकायिक ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, उनसे अधोलोकतिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, उनसे तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणा हैं, उनसे तीन लोक में असंख्यात गुणा हैं, उनसे ऊर्ध्वलोक में असंख्यात गुणा हैं और उनसे अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया उड्डलोयतिरियलोए, अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखिजगुणा, तेलोक्के असंखिज्जगुणा, उड्डलोए असंखिजगुणा, अहोलोए विसेसाहिया।
खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया अपज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए, अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखिज्जगुणा, तेलोक्के असंखिजगुणा, उड्डलोए असंखिजगुणा, अहोलोए विसेसाहिया।
खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया पज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए, अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखिजगुणा, तेलोक्के असंखिजगुणा, उड्डलोए असंखिजगुणा, अहोलोए विसेसाहिया॥२०६॥ .
भावार्थ - क्षेत्र की अपेक्षा सबसे थोड़े अप्कायिक ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, उनसे अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, उनसे तिर्यक्लोक में असंख्यात गुणा हैं, उनसे तीन लोक में । असंख्यात गुणा हैं, उनसे ऊर्ध्वलोक में असंख्यात गुणा हैं और उनसे अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org