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________________ २९८ *-*-*-*-* प्रज्ञापना सूत्र Jain Education International एएसि णं भंते! तेउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा तेउकाइया अपज्जत्तगा तेउकाइया पज्जत्तगा संखिज्ज गुणा ॥ - भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक तेजस्कायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक तेजस्कायिक हैं, उनसे पर्याप्तक तेजस्कायिक संख्यात गुणा है । एएसि णं भंते! वाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा वाडकाइया अपज्जत्तगा, वाउकाइया पज्जत्तगा संखिज्ज गुणा ॥ भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक वायुकायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक वायुकायिक हैं, उनसे पर्याप्तक वायुकायिक संख्यात गुणा हैं। ********** एएसि णं भंते! वणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा, वणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखिज्ज गुणा ॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक वनस्पतिकायिकों में कौन किनसे अल्प बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? . उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक वनस्पतिकायिक हैं उनसे पर्याप्तक वनस्पतिकायिक संख्यात गुणा हैं। एएसि णं भंते! तसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा, तसकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा ॥ १५५ ॥ प्रश्न - हे भगवन्! पर्याप्तक और अपर्याप्तक त्रसकायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004093
Book TitlePragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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