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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - इन्द्रिय द्वार
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एएसि णं भंते! सइंदियाणं, एगिदियाणं, बेइंदियाणं, तेइंदियाणं, चउरिदियाणं पंचिंदियाणं अपजत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा पंचिंदिया अपज्जत्तगा, चउरिदिया अपजत्तगा विसेसाहिया, . तेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, बेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, एगिंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया, सइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया॥१४८॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्तक सइन्द्रिय, एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं उनसे चउरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, उनसे तेइन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं उनसे बेइन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं उनसे एकेन्द्रिय अपर्याप्तक अनंत गुणा हैं और उनसे सइन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं।
विवेचन - सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं क्योंकि वे एक प्रतर में अंगुल के असंख्यात भाग मात्र जितने खण्ड होते हैं उतने ही हैं। उनसे चउरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं क्योंकि वे प्रचुर (बहुत) अंगुल के असंख्यात भाग मात्र जितने खंड होते हैं उतने हैं। उनसे तेइन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं क्योंकि वे एक प्रतर में प्रचुरतर अंगुल के असंख्यात भाग मात्र जितने खड होते हैं उतने हैं। उनसे बेइन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं क्योंकि वे एक प्रतर में प्रचुरतम अंगुल के असंख्यातवें भाग खण्ड प्रमाण हैं। उनसे एकेन्द्रिय अपर्याप्तक अनन्त गुणा हैं क्योंकि अपर्याप्तक वनस्पतिकायिक सदैव अनन्त पाये जाते हैं। उनसे सइन्द्रिय अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं क्योंकि इसमें बेइन्द्रिय आदि अपर्याप्तकों का भी समावेश है।
एएसि णं भंते! सइंदियाणं, एगिंदियाणं, बेइंदियाणं, तेइंदियाणं, चउरिदियाणं, पंचिंदियाणं पजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा चउरिदिया पज्जत्तगा, पंचिंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, बेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया, तेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया, एगिंदिया पज्जत्तगा अणंत गुणा, सइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया॥१४९॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक सइन्द्रिय, एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? . .
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