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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - दिशा द्वार
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भी प्रजास्थानीय देव अधिक होते हैं तथा अढ़ाई द्वीप के बाहर भी इधर उधर आते जाते देव इन दिशाओं में अधिक मिलते हैं। जिस दिशा में देव और नैरयिक अधिक बतलाये गये हैं. उस दिशा में देवों के विमान और नैयिकों के नरकावास बहुत हैं और वे अधिक विस्तृत हैं तथा उनमें संकीर्णता भी अधिक होती होगी ऐसा समझना चाहिए। जैसे कि वर्तमान में दिखाई देने वाले सम्पूर्ण संसार के दो विभाग किये जाय तो दक्षिण की आबादी अधिक है।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा सोहम्मे कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखिज गुणा, दाहिणेणं विसेसाहिया।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा ईसाणे कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखिज्ज गुणा, दाहिणेणं विसेसाहिया।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा सणंकुमारे कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखिज गुणा, दाहिणेणं विसेसाहिया।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा माहिदे कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिमेणं उत्तरेणं असंखिज गुणा, दाहिणेणं विसेसाहिया। . दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा बंभलोए कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज गुणा। दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा लंतए कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं दाहिणणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा महासुक्के कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा सहस्सारे कप्पे पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज गुणा।
तेण परं बहुसमोववण्णगा समणाउसो!॥१४३॥
भावार्थ - दिशाओं की अपेक्षा से सबसे थोड़े देव सौधर्म कल्प में पूर्व और पश्चिम दिशा में हैं उनसे उत्तर दिशा में असंख्यात गुणा हैं और उनसे दक्षिण दिशा में विशेषाधिक हैं।
दिशाओं की अपेक्षा सबसे थोड़े देव ईशान कल्प में पूर्व और पश्चिम दिशा में हैं उनसे उत्तर दिशा में असंख्यात गुणा हैं उनसे दक्षिण दिशा में विशेषाधिक हैं।
. दिशाओं की अपेक्षा से सबसे थोड़े देव सनत्कुमार कल्प में पूर्व और पश्चिम दिशा में हैं उनसे उत्तर दिशा में असंख्यात गुणा हैं और उनसे दक्षिण दिशा में विशेषाधिक हैं।
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