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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - दिशा द्वार
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भी वनस्पतिकाय के जीव सब से अधिक हैं क्योंकि वे हमेशा अनन्त संख्या रूप होते हैं। ऐसी स्थिति में जहां वनस्पति अधिक हैं वहां जीवों की संख्या अधिक है और जहां वनस्पति कम है वहां जीवों की संख्या भी कम है। जहां जल की प्रचुरता है वहां वनस्पतिकायिक जीव अधिक हैं क्योंकि 'जत्थ जलं तत्थ वणं' - जहां जल होता है वहां वनस्पतिकाय होती है-ऐसा शास्त्र वचन है। जहां जल होता है वहां एनक शैवाल आदि अवश्य होती है। पनक और शैवाल आदि बादर नाम कर्म के उदय वाली होने पर भी अत्यंत सूक्ष्म अवगाहना वाली होने से एवं अनेक जीवों की पिण्ड रूप होने से चक्षुओं द्वारा दृष्टिगोचर नहीं हो सकती। इस विषय में अनुयोगद्वार में भी कहा है - 'ते णं वालग्गा मुहुम पणगजीवस्स सरीरोगाहणाहिंतो असंखिज्जगुणा' - वे वाल के अग्रभाग पर आवे उतने सूक्ष्म पनक जीव के शरीर की अवगाहना से असंख्यात गुणा हैं अत: जहां पर वे दिखाई नहीं देते हैं वहां पर भी हैं, ऐसा मानना चाहिये। ___ "जहां अप्काय है वहां नियम से वनस्पतिकायिक होते हैं" - इस हेतु से वनस्पतिकायिकों की बहुलता है। समुद्र आदि में प्रचुर जल होता है और द्वीप से समुद्र दुगुने विस्तार वाले हैं। उन समुद्रों में भी प्रत्येक में पूर्व और पश्चिम में क्रमशः चन्द्र और सूर्य के द्वीप हैं। जितने भाग में चन्द्र और सूर्य के द्वीप स्थित हैं उतने भाग में जल का अभाव है अत: वनस्पति का भी अभाव है। इसके अतिरिक्त पश्चिम दिशा में लवण समुद्र के अधिपति सुस्थित देव का आवास गौतम नामक द्वीप है जो लवण समुद्र में अधिक है वहां भी जल का अभाव होने से वनस्पति का अभाव है। अत: सब से थोड़े वनस्पतिकायिक जीव पश्चिम दिशा में हैं उनसे पूर्व दिशा में विशेषाधिक हैं क्योंकि वहां गौतम द्वीप नहीं है अत: उतने अंश में अधिक जीव हैं। उनसे भी दक्षिण दिशा में विशेषाधिक जीव हैं क्योंकि वहां चन्द्र और सूर्य के द्वीप नहीं हैं। चन्द्र सूर्य के द्वीप नहीं होने से वहां प्रचुर जल है। जल की अधिकता से वनस्पतिकायिक भी. अधिक है। दक्षिण दिशा से भी उत्तर दिशा में विशेषाधिक जीव हैं क्योंकि उत्तर दिशा में संख्यात योजन वाले द्वीपों में से एक द्वीप में संख्यात कोटि योजन प्रमाण लम्बा चौडा एक मानस सरोवर है जिसमें पानी की प्रचुरता होने से वनस्पतिकायिक जीवों की बहुलता है, शंख आदि बेइन्द्रिय जीव हैं, तट पर पडे हुए शंखादि के कलेवर पर आश्रित चींटी आदि बहुत से तेइन्द्रिय जीव हैं, पद्म आदि में बहुत से भ्रमर आदि चउरिन्द्रिय जीव हैं और मत्स्य आदि पंचेन्द्रिय जीव भी बहुत अधिक हैं इसलिये उत्तर दिशा में विशेषाधिक जीव कहे गये हैं।
प्रश्न - गौतम द्वीप कहाँ पर हैं?
उत्तर - जम्बू द्वीप को घेरे हुए लवण समुद्र है। वह दो लाख योजन का लम्बा चौड़ा है। जम्बूद्वीप की जगती से पश्चिम दिशा में लवण समुद्र में बारह हजार योजन जाने पर गौतम द्वीप आता है। वह गौतम द्वीप बारह हजार योजन का लम्बा चौड़ा है। लवण समुद्र के अधिपति सुस्थित देव का वहाँ भवन है।
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