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________________ (२७) विषय सनत्कुमारेंद्र का स्वरूप संसारी जीवों के भेदों, सम्यक्त्व- मिथ्यात्व क्रिया साता-असातावेदनीय कैसे बाँधते हैं ७ ७ संज्ञा १० का चौबीस दण्डक की अपेक्षा वर्णन सामायिक में बैठे श्रावक के चुराए भांड की गवेषणा ८ साधु को अन्य स्थविरों के लिए दिए आहारादि और उनके न मिलने पर क्या करना सूर्य पृथ्वी से समान ऊँचा है फिर भी दिखाई क्यों देता है ? दूर . सिद्धि किस संहनन में होती है, सिद्धगंडिका सुदर्शन सेठ........ पूर्व-भव का महाबल चरित्र साधु की नाना-नाना प्रकार की विकुर्वणा, शक्ति, गति, आराधना आदि निकट संवेग - निर्वेद आदि का अंतिम फल मोक्ष सोमिल ब्राह्मण के यात्रा आदि के प्रश्न सोपक्रम - निरूपम आयुष्य वर्णन स्व-पर निरूपक्रम से तथा आत्म- ऋद्धि कर्म प्रयोग से उत्पत्ति, मरण सम-विषम योगी वर्णन Jain Education International शतक उद्देशक भाग पृष्ठ २ ६०१ ३ ११४५- ३ ११५६ ३ ३ ३ ७ ८ १३ . सूर्योदय को देख कर गौतम स्वामी द्वारा किए गए प्रश्न १४ • स्वप्न अधिकार १६ १७ १८ २० ८ ११ ११ २० २५ संस्थान ६ व ५, रत्नप्रभादि संस्थान, प्रदेश अवगाह तथा संस्थान के प्रदेशादि कृतयुग्मादि २५ सेजन निरेजना का सिद्ध संसारी जीव आश्रित वर्णन संयत वर्णन के ३६ द्वार २५ २५ समाचारी के १० भेद २५ समवसरण शतक ३० For Personal & Private Use Only १ ४ ६ ८ ५ ६ ८ ९ ११ ९ ९ ६ ३ १० १० १० १ ४ ७ ५ ४७ ५८ १९८३- ८६ १३७४- ७८ ७ ३ १३९५- ९९ ३ १४६२-- ६९ ४ १८९४-- ९६ ४ १९१५- ६० ७ १२१७- ७३२८० ७ ३४४१ ७ ३४६६ १-११७३६०८ ५ २२६३- ७२ ५ २३५८ ५९ ५ २५५२-- ७० ५ २६२१- २३ ६ २७५४-- ६७ ६ २९१८-- २० ६ २६२०- ७ ३१६८-३२०६ २२ ૪૪ ८३ ९१ £4 ४८ www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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